कोरोना वायरस के कहर (coronavirus outbreak) से भारत ही नहीं पूरी दुनिया का बाजार हिला हुआ है. भारत का बाजार लगातार टूट रहा है. निवशकों को लगातार चपत लग रही है. मार्केट एक्सपर्ट वर्तमान हालात को 2008 की आर्थिक मंदी (economic shutdown) से भी ज्यादा खतरनाक बता रहे हैं. लेकिन इस गिरता बाजार भी निवेशकों को मौका दे रहा है. 

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हेलियस कैपिटल (Helios Capital) के फंड मैनेजर समीर अरोड़ा (Samir Arora) ने ज़ी बिजनेस को बताया कि पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है. बाजार चौपट हुआ पड़ा है. यह संकट 2008 में आई आर्थिक मंदी से भी ज्यादा गंभीर है. क्योंकि 2008 का संकट केवल अर्थव्यवस्था का था और वह भी अमेरीका में. हालांकि इसका असर भारत पर भी पड़ा था. उस समय यूएस का बाजार 60 फीसदी तक टूटा था और भारत के बाजार पर इसका करीब 64 फीसदी असर पड़ा था. 

लेकिन कोरोना संकट सेहत और अर्थ, दोनों के लिए खतरनाक है. और इसका असर अमेरीका, भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. 

कोरोना वायरस का तोड़ तो मेडिकल साइंस तो 2-4 महीनों में ढूंढ ही लेंगे, लेकिन अर्थव्यवस्था को उभरने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग जाएगा. रोजमर्रा के काम बिल्कुल खत्म हो गए हैं, उन्हें उबरने में समय लगेगा. 

 

समीर अरोड़ा कहते हैं कि निवेशकों को इस समय बाजार से दूर रहना चाहिए. हालांकि सिस्मेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए यह एक अच्छा समय है.

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कोरोना संकट पर समीर अरोड़ा की राय

- 2008 की मंदी से ज्यादा गंभीर है कोरोना संकट.

- 2008 में अमेरीका में 60 फीसदी और भारत में 64 फीसदी तक बाजार गिरा.

- उस समय केवल अमेरिका की स्थिति खराब थी, अन्य देशों में सामान्य हालात.

- अर्थव्यवस्था में पूरी रिकवरी होने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लगेगा.

- 10 से 70 फीसदी गिरने वाले शेयरों में खरीदारी नहीं करें

- 30 फीसदी तक गिरने वाले शेयरों पर फोकस करें.

- 1 साल के मुनाफे का नुकसान होने पर शेयर 15 फीसदी तक गिरना चाहिए.

- SIP के जरिए निवेश करने वालों के लिए सही समय है.