नौकरी वालों के लिए अच्छी खबर- एक साल काम करने पर भी मिलेगा ग्रेच्युटी का फायदा!
सोशल सिक्योरिटी कोड में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं. इनमें से ही एक प्रावधान ग्रेच्युटी (Gratuity) को लेकर है. इसमें कहा गया है कि ग्रेच्युटी पांच साल की जगह एक साल में मिल सकती है.
संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने श्रम सुधारों (Labour Reforms) से जुड़े तीन विधेयक लोकसभा (Lok Sabha) में पेश कर दिए हैं. इनमें सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) भी शामिल है. सोशल सिक्योरिटी कोड में कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं. इनमें से ही एक प्रावधान ग्रेच्युटी (Gratuity) को लेकर है. इसमें कहा गया है कि ग्रेच्युटी पांच साल की जगह एक साल में मिल सकती है.
वेतन के साथ मिलेगा ग्रेच्युटी का फायदा
सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) में नए प्रावधानों की डीटेल्स दी गई हैं. प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों को इसका सीधा फायदा होगा. ऐसा कर्मचारी जो फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी करते हैं, उन्हें उतने दिन के आधार पर ही ग्रेच्युटी पाने का हक होगा. इसके लिए पांच साल पूरे की जरूरत नहीं है. आसान भाषा में समझें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वाले कर्मचारियों को उनके वेतन के साथ-साथ ग्रेच्युटी का फायदा भी मिल सकेगा. चाहे कॉन्ट्रैक्ट कितने भी दिन का हो, उन्हें वेतन के आधार पर ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा.
कानून बनने पर मिलेगा फायदा
सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 को अभी संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलना बाकी है. इसके बाद ही यह कानून बनेगा. कानून बनने के बाद ही इसकी तमाम जानकारी सामने आएगी. अभी सरकार की तरफ से सिर्फ इतनी ही जानकारी रखी गई है. कानून बनने के बाद ही नियम और शर्तें भी लागू होंगी.
क्या होती है ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी (Gratuity) वो रकम होती है जो कर्मचारी को संस्था या नियोक्ता (Employer) की तरफ से दी जाती है. एक संस्थान या नियोक्ता के पास कर्मचारी को कम से कम पांच साल तक नौकरी करना जरूरी है. आमतौर पर ये रकम तब दी जाती है, जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है या उसे नौकरी से हटाया जाता है या फिर वो रिटायर होता है. किसी वजह से कर्मचारी की मौत होने या दुर्घटना की वजह से उसके नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी उसे या उसके नॉमिनी को ग्रेच्युटी की रकम मिलती है.
क्या है ग्रेच्युटी की पात्रता?
ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के नियमों (Gratuity act 1972 rules) के मुताबिक, ग्रेच्युटी की रकम अधिकतम 20 लाख रुपए तक हो सकती है. ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारी को एक ही कंपनी में कम से कम 5 साल तक नौकरी करना अनिवार्य है. इससे कम वक्त के लिए की गई नौकरी की स्थिति में कर्मचारी ग्रेच्युटी की पात्रता नहीं रखता. 4 साल 11 महीने में नौकरी छोड़ने पर भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है. हालांकि, अचानक कर्मचारी की मौत या दुर्घटना होने पर नौकरी छोड़ने की स्थिति में ये नियम लागू नहीं होता.
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दो कैटेगरी में तय होती है ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 में कर्मचारियों को मिलने वाली ग्रेच्युटी की रकम का फॉर्मूला तय करने के लिए कर्मचारियों को दो कैटेगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी में वो कर्मचारी आते हैं, जो इस एक्ट के दायरे में आते हैं, वहीं दूसरे में एक्ट से बाहर वाले कर्मचारी आते हैं. निजी और सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले दोनों ही तरह के कर्मचारी इन दो कैटेगरी में कवर हो जाते हैं.
कैटेगरी 1- वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में आते हैं.
कैटेगरी 2- वे कर्मचारी जो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में नहीं आते.
ग्रेच्युटी की रकम पता करने का फॉर्मूला (एक्ट में आने वाले कर्मचारियों के लिए)
आखिरी वेतनxनौकरी की अवधिx15/26
आखिरी वेतन- मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो). इस फॉर्मूले में महीने में 26 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है.
नौकरी की अवधि- नौकरी के आखिरी साल में 6 महीने से ऊपर की नौकरी को पूरा साल माना जाएगा, जैसे 6 साल 8 महीने नौकरी करने की स्थिति में उसे 7 साल माना जाएगा.
उदाहरण- मान लीजिए किसी ने एक कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार उनकी ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.
15000x7x15/26= 60,577 रुपए
ग्रेच्युटी की रकम पता करने का फॉर्मूला (एक्ट में नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए)
आखिरी वेतनxनौकरी की अवधिx15/30
आखिरी वेतन- मूल वेतन+महंगाई भत्ता+बिक्री पर मिला कमीशन (अगर हो तो). फॉर्मूले में महीने में 30 दिन कार्य दिवस मानकर कर्मचारी को 15 दिन का औसत निकालकर भुगतान किया जाता है.
नौकरी की अवधि- इस तरह के कर्मचारियों के लिए नौकरी के आखिरी साल में 12 महीने से कम की अवधि को नहीं जोड़ा जाता है. जैसे अगर कर्मचारी ने 6 साल 8 महीने काम किया है तो उसे 6 साल ही माना जाएगा.
उदाहरण- अगर किसी ने कंपनी में 6 साल 8 महीने तक नौकरी की. नौकरी छोड़ने के दौरान उसका मूल वेतन 15000 रुपए महीना था. ये कंपनी एक्ट के दायरे में नहीं आती, ऐसी स्थिति में फॉर्मूले के अनुसार ग्रेच्युटी की रकम इस तरह निकलेगी.
15000x6x15/30= 45,000 रुपए (एक्ट में नहीं आने वाले को एक्ट में आने वाले कर्मचारी के मुकाबले 15,577 रुपए कम मिलेंगे)
मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी की गणना
ऐसी स्थिति में ग्रेच्युटी का भुगतान नौकरी की अवधि के आधार पर किया जाता है, जहां अधिकतम 20 लाख रुपए तक की रकम दी जा सकती है.
नौकरी की अवधि ग्रेच्युटी की दर
- एक साल से कम मूल वेतन का दोगुना.
- एक साल से ज्यादा लेकिन 5 साल से कम मूल वेतन का छह गुना.
- 5 साल से ज्यादा लेकिन 11 साल से कम मूल वेतन का 12 गुना.
- 11 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम मूल वेतन का 20 गुना.
- 20 साल से ज्यादा नौकरी हर छह महीने की नौकरी के लिए मूल वेतन का आधा.
नोट: ऊपर दी गई कैलकुलेशन मौजूदा नियमों के हिसाब से है. कानून में बदलाव के बाद इसमें अंतर हो सकता है.