Smart Ways to Achieve Financial Goals: 4 स्मार्ट तरीके जो आपको और परिवार को बनाएंगे फाइनेंशियली सिक्योर
अगर आप अपने और परिवार के जीवन को सुरक्षित करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले फाइनेंशियल प्लानिंग होनी बहुत जरूरी है. यहां जानिए वो स्मार्ट तरीके जो आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने और फाइनेंशियली सिक्योर बनाने में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं.
एक कहावत है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता तब तक नहीं मिल सकती, जब तक आपके पास एक क्लीयर विजन और लक्ष्य न हो. आपका विजन और गोल्स ही ये तय करता है कि आपको किस दिशा में जाना है और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत करती है. यही बात फाइनेंशियल सक्सेस पर भी लागू होती है. अगर आप अपने और परिवार के जीवन को सुरक्षित करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले फाइनेंशियल प्लानिंग होनी बहुत जरूरी है. यहां जानिए वो स्मार्ट तरीके जो आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने और फाइनेंशियली सिक्योर बनाने में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं.
अपने गोल्स की लिस्ट बनाएं
किसी भी काम को करने से पहले सबसे पहले उनकी प्राथमिकताओं को निर्धारित करना चाहिए. इसके लिए अपने गोल्स की एक लिस्ट तैयार करें. प्रैक्टिकल सोच के साथ इसमें बच्चों के लिए एजुकेशन फंड, मेडिकल एक्सपेंसेज, बुढ़ापे के लिए रिटायरमेंट फंड और जरूरत के लिए इमरजेंसी फंड को भी शामिल करें. साथ ही उन इच्छाओं को भी शामिल करें, जो आप पूरा करना चाहते हैं.
अपनी लिस्ट में गोल्स को विभाजित करें
इस लिस्ट को दो हिस्सों में विभाजित करें. एक तरफ वो चीजें लिखें जिनकी आपको जरूरत है और वो हर हाल में पूरी होनी ही चाहिए और दूसरी ओर वो चीजें लिखें जिन्हें आप प्राप्त करना चाहते हैं. इस तरह से आप अपी जरूरतों और प्राथमिकताओं का फर्क समझ पाएंगे और इस बात का अंदाजा लगा पाएंगे कि इन इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए आपको कितनी आमदनी की जरूरत होगी और इसके लिए किस हिसाब से निवेश किया जाए.
लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म गोल्स के हिसाब से इन्वेस्ट करें
अपने गोल्स को लॉन्ग टर्म, मिडिल टर्म और शॉर्ट टर्म के हिसाब से बांटें. गोल्स टर्म बांटने के बाद उनके हिसाब से आप इन्वेस्टमेंट करें. अपने फाइनेंशियल पोर्टफोलियो में निवेश के अलग-अलग ऑप्शंस को शामिल करें. जैसे अगर आप जल्द ही एक कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आप डेट फंड या बैंक डिपॉजिट की स्कीम को चुन सकते हैं. वहीं रिटायरमेंट फंड जैसे लॉन्ग टर्म गोल के लिए आपको ऐसे विकल्प को चुनना होगा जिसमें कंपाउंडिंग का फायदा मिले और रिस्क के बाद भी रिटर्न एवरेज तो हर हाल में हो. इसके लिए आप डायरेक्ट स्टॉक या इक्विटी असेट को चुन सकते हैं. इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट की जरूरत पड़ेगी.
निवेश की मॉनिटरिंग जरूरी
ऐसा नहीं कि निवेश करने के बाद आप एकदम निश्चिंत होकर बैठ जाएं. समय-समय पर आपको निवेश की मॉनिटरिंग करते रहना होगा, ताकि आपको ये अंदाजा लग सके कि कहां आपको बेहतर रिटर्न मिल रहा है और कहां नहीं. ऐसे में जहां से बेहतर रिटर्न नहीं मिल पा रहा है, उस रकम को निकाल कर आप बेहतर रिटर्न के लिए कहीं और निवेश कर सकते हैं. अगर आपको इस तरह के किसी भी फैसले में परेशानी हो रही है तो आप किसी फाइनेंशियल एडवायजर से इस मामले में मदद ले सकते हैं.