बचत की बात हो या फिर टैक्स बचाने की, हमारे यहां ज्यादातर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी पर ही भरोसा करते हैं. भारत में बचत या निवेश का मतलब एफडी ही निकाला जाता है. फिक्स्ड डिपॉजिट पर एक निश्चित ब्याज तो मिलता ही है, साथ ही बाजार में होने वाली उठा-पटक की चिंता से भी मुक्ति मिलती है. जानकार बताते हैं कि एफडी करवाने के भी कुछ नियम हैं. अगर इन नियम या बातों पर अमल किया जाए तो निश्चित ही निवेशक को एफडी पर अच्छा ब्याज मिलता है. और इन बातों की अनदेखी से कभी-कभी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसलिए जानकार कहते हैं कि किसी भी बैंक में एफडी खुलवाने से पहले उसकी टर्म्स और कंडीशन पर जरूर गौर करना चाहिए. 

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छोटे-छोटे टुकड़ों एफडी लेना फायदेमंद

मार्केट एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आप एफडी करवाने जा रहे हैं तो एक ही बैंक में एकमुश्त रकम की एफडी न करवाकर उस रकम को कई टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग बैंक में एफडी करवानी चाहिए. इससे एक फायदा यह होगा कि एफडी पर अलग-अलग बैंकों से अलग-अलग ब्याज हासिल होगा. साथ ही अगर आपको अचानक पैसों की जरूरत आ पड़ी है तो किसी एक एफडी को तुड़वाकर अपनी जरूरत पूरा कर सकते हैं. इससे आपको नुकसान कम होगा.

माना मिस्टर ए ने एक बैंक में 1 लाख रुपये की एफडी करवा रखी है और मिस्टर बी ने चार अलग-अलग बैंकों में 25-25 हजार रुपये की 4 एफडी करवा रखी हैं. अगर दोनों को ही 25 हजार रुपये की जरूरत पड़ती है तो मिस्टर ए को अपनी 1 लाख रुपये की एफडी तुड़वानी होगी, जिससे पूरी रकम खराब हो सकती है, जबकि मिस्टर बी अपनी एक एफडी तुड़वाकर अपना काम कर सकते हैं. बाकि तीन एफडी सुरक्षित रहेंगी.

बैंक में डिपॉजिट पर भी आपको 1 लाख रुपए तक का प्रोटेक्‍शन कवर मिलता है। इसे आरबीआई की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) बैंक के डूबने की सूरत में देती है और यह नियम बैंकों की हर ब्रांच के लिए लागू है। इसलिए अच्‍छा होगा अगर आप बड़ी रकम को एक एफडी में न रखकर अलग-अलग बैंकों में इन्वेस्ट करें। इसके फायदे ये हैं कि अगर इमरजेंसी में रकम की जरूरत है तो जरूरत के मुताबिक रकम की एफडी तोड़कर काम चला सकते हैं। दूसरा फायदा यह भी है कि अगर एक जगह कम ब्‍याज है तो दूसरी जगह ज्‍यादा ब्‍याज ले सकते हैं। 

समय का रखें ध्यान

फिक्स्ड डिपॉजिट को एक तय समय के लिए किया जाता है. बैंकों की ब्याज अवधि अलग-अलग होती है. कुछ बैंक पूरे एक साल पर ब्याज देते हैं तो कुछ उसके कम या ज्यादा दिनों पर ब्याज की गणना करते हैं. इसलिए एफडी करवाने से पहले बैंक की ब्याज अवधि के बारे में जानकारी जरूर हासिल कर लें. यह इसलिए जरूरी है कि राउंड फिगर अवधि के बजाय थोड़ कम या ज्यादा दिन की एफडी पर आपको ज्यादा ब्याज मिल जाए. 

चुनें ब्याज का ऑप्शन  

वैसे तो फिक्स्ड डिपॉजिट पर सालाना ब्याज मिलता है. लेकिन आप को बीच-बीच में कुछ पैसों की जरूरत रहती है तो एफडी पर मिलने वाले ब्याज का पैसा मासिक, तिमाही या फिर सालाना निकालने की सुविधा ले सकते हैं. बैंक में एफडी करवाते समय आप अपनी सहुलित के हिसाब से ब्याज हासिल करने का ऑप्शन चुन सकते हैं.

कटौती के बाद भी पूरा ब्याज

फिक्स्ड डिपॉजिट की खास बाद ये है कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद भी एफडी पर वही ब्याज मिलेगा जो एफडी खुलवाते समय तय था. एफडी की अवधि पूरी होने तक ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाता है. हां, नई एफडी खुलवाने या फिर पुरानी एफडी को रिन्युअल करवाते समय नई दर पर ब्याज मिलेगा. 

समय पूरा करके ही लें भुगतान

एफडी करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि एफडी की अवधि पूरी होने पर ही उसका भुगतान लें. क्योंकि तय समय से पहले एफडी तुड़वाने से बैंक आपसे कुछ अतिरिक्त चार्ज वसूलते हैं. इसलिए एफडी की अवधि पूरी होने पर ही उसका भुगतान हासिल करें. हां, अगर आपको इस बीच पैसों की बहुत अधिक जरूरत आ पड़ी है तो एफडी पर लोन ले सकते हैं. बैंक एफडी पर लोन की सुविधा मुहैया कराते हैं. आप अपनी एफडी पर 90 फीसदी तक लोन ले सकते हैं.