इंजीनियरिंग और मेडिकल सहित ज्यादातर उच्च शिक्षा संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं के रिजल्ट आ गए हैं और एडमिशन का सिलसिला भी शुरू हो गया है. ऐसे वक्त में मिडिल क्लास परिवारों के लिए अपने सपनों को साकार करने का सबसे बड़ा सहारा है एजुकेशन लोन (Education Loan). सभी वाणिज्यिक बैंक हायर एजुकेशन और प्रोफेशनल डिग्री के लिए लोन देते हैं. इसके तहत देश के चुनिंदा प्रमुख संस्थानों जैसे IIT, IIM, NIT और अन्य प्रमुख संस्थानों के लोन बेहद आसानी से मिलता है, जबकि अन्य संस्थानों के लिए हो सकता है कि आपको थोड़ी दौड़भाग करनी पड़े. 

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कितनी होती है ब्याज दर

एजुकेशन लोन की किस्त आमतौर पर पढ़ाई पूरी होने के बाद 12 महीने से देनी होती है. ब्याज दर 8.5 प्रतिशत से 11 प्रतिशत के बीच होती है. अगर आपने कहीं और से एजुकेशन लोन लिया है और आपको अधिक ब्याज चुकाना पड़ रहा है तो आप उस लोन को किसी ऐसे बैंक के लोन में बदल सकते हैं, जो आपको कम ब्याज दर ऑफर कर रहा है.

लोन चुकाने की गारंटी

बेहद प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों को छोड़ दे तो बाकी संस्थानों में पढ़ाई के लिए लोन लेते समय बैंक विद्यार्थी के माता-पिता या सह-आवेदक को भी लोन का गारंटर बनाते हैं. यानी अगर विद्यार्थी लोन नहीं चुका पता है, तो लोन चुकाने की पूरी जिम्मेदारी माता-पिता की होगी. जिस बैंक में आपका पहले से ही खाता है वहां से एजुकेशन लोन लेना आसान होता है. एजुकेशन लोन के तहत कॉलेज, हॉस्टल, लाइब्रेरी और पढ़ाई के लिए कंप्यूटर खरीदने के खर्च को भी शामिल किया जाता है.

जरूरी दस्तावेज

भारतीय नागरिक ही बैंकों से एजुकेशन लोन ले सकते हैं. इसके लिए आवेदक की उम्र 16 से 35 वर्ष होनी चाहिए. लोन की रकम सह-आवेदक की आय के आधार पर आंकी जाती है. विभिन्न बैंक एजुकेशन लोन के लिए अलग-अलग दस्तावेजों की मांग करते हैं लेकिन आम तौर पर पिछली परीक्षा की मार्क्स शीट, प्रवेश या स्कॉलरशिप से जुड़े कागजात, कोर्स के विभिन्न चरणों में होने वाले खर्च का लेखा-जोखा, पिछले छह महीने का बैंक स्टेटमेंट, पिछले दो साल का इनकम टैक्स रिटर्न (माता- पिता या सह आवेदक का) और सह-आवेदक के एसेट्स और देनदारियों से जुड़े दस्तावेज बैंकों को देना होता है. इसके अलावा, आप जिस बैंक से लोन लेना चाहते हैं और उसके ग्राहक नहीं हैं तो रेजीडेंस प्रूफ और आईडी प्रूफ की भी जरूरत होती है.