Debt fund Investment: डेट फंड असल में म्यूचअल फंड ही होता है. इसमें निवेशक बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) या फिर दूसरी स्मॉल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) के अल्टरनेट के रूप में इन्वेस्ट करते हैं. जैसे की सरकारी सिक्योरिटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल्स. फिक्स्ड डिपॉजिट का समय पूरा होते ही डेट फंड आपको फिक्स्ड रेट पर अच्छा खासा रिटर्न देते हैं.

सुरक्षित रहेगा आपका पैसा

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ICICI पर साझा जानकारी के मुताबिक, डेट फंड का उद्देश्य केवल इन्वेस्टर्स को सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के साथ फायदा पहुंचाना है. बता दें डेट फंड को लिक्विड फंड भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. इसका मतलब ये कि आप अपना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं.

Debt Funds में इन्वेस्ट करने के 4 बेनिफिट्स

स्टेबल फंड्स

डेट फंड में रिटर्न आमतौर पर हमेशा एक जैसा रहता है. इसके रेट्स में मार्केट के चलते कभी बदलाव नहीं दिखता है. ऐसे में अगर आपको इन्वेस्ट करने में डर लग रहा है, तो ये आपके लिए सुरक्षित ऑप्शन है. वहीं अगर आप कुछ समय के लिए अपनी फाइनेंशियिल प्लानिंग करना चाहते हैं, तो Debt Funds बेस्ट है.

लोवर फीस

Debt Funds में आप Equity और म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम पैसों से निवेश कर सकते हैं. अक्सर इन्वेस्टर्स डेट और म्यूचुअल फंड स्कीम्स को ही चुनते हैं, जिससे TDS पर कोई असर नहीं पड़ता है. हालांकि अगर आप फंड यूनिट को बेचते हैं, तो आपको इन्वेस्टमे्ंट के दौरान चैक्स देना पड़ेगा.

आमतौर पर ऐसी योजनाओं में इन्वेस्टर्स का पैसा सरकारी सिक्योरिटी, बॉन्ड और कॉर्पोरेट डिबेंचरों में लगाया जाता है. हालांकि, इस तरह के फंडों से इक्विटी फंडों (Equity Fund) के मुकाबले कम रिटर्न मिलता है.

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दरअसल यह फंड इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम भरे हैं. इनका इक्विटी बाजार के उतार चढ़ाव से कोई मतलब नहीं. बता दें लॉन्ग टर्म में कई डेट फंड ने बैंक एफडी की तुलना में 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा रिटर्न दिया है. ज्यादातर बैंक जहां एफडी करने पर 5.75 फीसदी से 6.75 फीसदी या 7 फीसदी के बीच रिटर्न दे रहे हैं.

कम जोखिम, बेस्ट रिटर्न

Debt Fund में अगर आप इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको बेहतर रिटर्न मिलेगा. क्योंकि म्यूचअल फंड (Mutual Fund) में इन्वेस्टमेंट सबसे ज्यादा फायदा देने वाला सौदा माना जाता है. ऐसा अक्सर होता है कि फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड में ज्यादा रिटर्न मिलता है.

Debt funds से मिलने वाला पैसा टैक्स के दायरे में आता है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता है. 3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने के बाद जो मुनाफा होता है, उसा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है.