Corporate Taxation News: नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने व्यक्तिगत कर (Personal tax) की तरह ही व्यवसाय कर (Business tax) की पूरी प्रणाली को सरल बनाने की वकालत की और कहा कि ‘फेसलेस’ मूल्यांकन सभी मामलों में काम नहीं कर सकता है. ‘फेसलेस’ मूल्यांकन में अधिकारी और करदाता को आमने-सामने आने की जरूरत नहीं होती. विरमानी ने कहा कि वह बड़े निगमों से सुन रहे हैं कि ‘फेसलेस’ मूल्यांकन का मतलब कभी-कभी एक प्रकार की अज्ञानता हो सकता है, क्योंकि व्यवसाय को अपने हर खर्च के संबंध में निर्णय करने की आवश्यकता होती है.

फेसलेस मूल्यांकन पर फोकस

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उन्होंने PTI से कहा कि व्यावसायिक कराधान (Taxation) स्वाभाविक रूप से एक समस्या है. कभी-कभी आपको इसे समझाने की जरूरत होती है. विरमानी ने कहा कि व्यवसाय के लिए व्यावसायिक कराधान का मतलब केवल कॉर्पोरेट कर नहीं है, इसका मतलब व्यक्तिगत कराधान के व्यावसायिक पहलू भी हैं. उन्होंने कहा कि आप एक ‘फेसलेस’ मूल्यांकन कर सकते हैं, यह 80 फीसदी मामलों के लिए काम कर सकता है लेकिन यह 10 फीसदी के लिए अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है.

श्रमिकों की भागीदारी बढ़ेगी

एक फेमस इकोनॉमिस्ट ने कहा कि मेरा मानना है कि आपको व्यापार कराधान के लिए पूरी कर प्रणाली को सरल बनाना होगा. विरमानी ने साथ ही दोहराया कि यूरोपीय संघ, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करना भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. युवाओं में बेरोजगारी के आंकड़े अधिक होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि श्रमिकों की भागीदारी, जिससे नौकरियों में मापा जाता है. 

वह 2017-18 कृषि वर्ष (1 जून से 31 मई) से 2021-22 कृषि वर्ष में बढ़ी है. उन्होंने कहा कि पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे  (PLFS) के आंकड़ों को देखें.  2021-22 (कृषि वर्ष) और 2017-18 (कृषि वर्ष) की अवधि के बीच आकस्मिक श्रमिकों की मजदूरी में प्रति वर्ष करीब पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

NDA सरकार अच्छा प्रदर्शन कर रही है

जब PTI ने इकोनॉमिस्ट से मौजूदा सरकार के 9 सालों और पिछली सत्ता में रही UPA सरकार के 10 सालों काम के बीच अंतर पूछे जाने पर विरमानी ने कहा कि मुद्रास्फीति सहित अधिकतर व्यापक आर्थिक संकेतकों पर, मोदी सरकार ने पिछली UPA सरकार की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है.

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