कैशलेस इकनॉमी पर जोर देने के साथ ही चेक (Cheque) से पेमेंट लेने का चलन बढ़ा है. हालांकि इसके साथ ही चेक बाउंस होने की घटनाएं भी बढ़ी हैं. चेक बाउंस होने की स्थित में चेक देने वाले के साथ ही ऐसा चेक जमा करने वाले पर भी बैंक पैनाल्टी लगाते हैं. बैंक का कहना है कि इससे उसका समय बर्बाद होता है और अनावश्यक पेपरवर्क करना पड़ता है, इसलिए ये पैनाल्टी लगाई जाती है. एसबीआई (SBI), आईसीआईसीआई (ICICI) बैंक और एचडीएफसी (HDFC) बैंक इस तरह की पैनाल्टी लगाते हैं और इस पैनाल्टी पर जीएसटी (GST) भी लागू होता है.

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चेक बाउंस के कारण

1. भुगतानकर्ता के बैंक खाते में अपर्याप्त धनराशि

2. हस्ताक्षर का न मिलना

3. एकाउंट नंबर गलत होना

4. चेक की तारीख में गलती

5. चेक की शब्दों में धनराशि और अंकों में धनराशि में अंतर

6. डैमेज चेक

7. ओवरड्राफ्ट लिमिट को पार करना

8. ओवरराइटिंग

9. चेकजारी करने वाले द्वारा भुगतान को स्थगित करना

10. संस्था द्वारा जारी चेक में मुहर न होना

चेक बाउंस होने पर क्या होगा?

यदि भुगतानकर्ता के बैंक खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण चेक बाउंस होता है, तो ये एक क्रिमिनल अपराध है. और Payee के पास कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होगा. चेक बाउंस होने के कारण बैंक पैनाल्टी भी लगाते हैं और ये चेक जारी करने वाले और चेक जमा करने वाले दोनों पर लगती है. हालांकि इसमें चेक जमा करने वाले की गलती नहीं, फिर भी उसे इसका नुकसान उठाना पड़ता है.

चेक बाउंस की अलग-अलग दशाओं के हिसाब से एसबीआई 150 रुपये से लेकर 500 रुपये तक पैनाल्टी लगाती है. एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में चेक रिटर्न की सूरत में 100 रुपये से लेकर 750 रुपये तक पैनाल्टी लगाई 

जाती है.