Aadhaar नहीं है आपकी आयु का पक्का सर्टिफिकेट! सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया- सिर्फ यहां आता है काम
Aadhaar Card Update: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऑर्डर में साफ कर दिया कि Aadhaar को सिर्फ एक पहचान पत्र (Identity Proof) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और ये आपकी आयु को प्रमाणित करने का डॉक्यूमेंट नहीं है.
Aadhaar Card Update: आज के समय हर आधार कार्ड (Aadhaar Card) हमारी हर छोटी बड़ी आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ है. सिम कार्ड खरीदने से लेकर बैंक में अकाउंट खुलवाते समय भी आधार कार्ड को अहम डॉक्यूमेंट की तरह माना जाता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऑर्डर में साफ कर दिया कि Aadhaar को सिर्फ एक पहचान पत्र (Identity Proof) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और ये आपकी आयु को प्रमाणित करने का डॉक्यूमेंट नहीं है.
यहां काम नहीं आएगा Aadhaar
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस ऑर्डर को कैंसिल कर दिया जिसमें मुआवजा देने के लिए सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले व्यक्ति की आयु तय करने के लिए आधार कार्ड को स्वीकार किया गया था.
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने कहा कि मृतक की उम्र किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र (School Leaving Certificate) में मेंशन की गई डेट ऑफ बर्थ से कैलकुलेट किया जाना चाहिए.
UIDAI ने भी नहीं माना एज सर्टिफिकेट
बेंच ने उल्लेख किया, "हमने पाया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने अपने परिपत्र संख्या 8/2023 के माध्यम से, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर, 2018 को जारी एक कार्यालय ज्ञापन के संदर्भ में कहा है कि एक आधार कार्ड पहचान स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है."
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने दावेदार-अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार कर लिया और मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) के फैसले को बरकरार रखा, जिसने मृतक की उम्र की गणना उसके स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के आधार पर की थी. शीर्ष अदालत 2015 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी. MACT, रोहतक ने 19.35 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया था जिसे उच्च न्यायालय ने यह देखने के बाद घटाकर 9.22 लाख रुपये कर दिया कि एमएसीटी ने मुआवजे का निर्धारण करते समय आयु गुणक को गलत तरीके से लागू किया था.
हाई कोर्ट ने मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 वर्ष आंकी थी. परिवार ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने आधार कार्ड (Aadhaar Card) के आधार पर मृतक की उम्र निर्धारित करने में गलती की है क्योंकि यदि उसके विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र के अनुसार उसकी उम्र की गणना की जाती है तो मृत्यु के समय उसकी उम्र 45 वर्ष थी.