सरकार ने 3 करोड़ इंडस्ट्रियल वर्करों (Industrial Workers) की सैलरी बढ़ाने का फॉर्मूला बदल दिया है. अब इन वर्करों की सैलरी 6 महीने पर बढ़ा करेगी. इसके लिए हर 6 महीने पर Consumer price index (CPI) का आंकड़ा लिया जाएगा. सरकार ने इसके साथ ही नया बेस ईयर लागू करने का फैसला किया है.

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बिजनेस स्‍टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह फॉर्मूला केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्‍ते (Dearness Allowance, DA) के कैलकुलेशन में लागू होगा. जी बिजनेस को सरकारी कर्मचारियों के DA एक्‍सपर्ट हरीशंकर तिवारी ने बताया कि बेस ईयर बदलने से DA का कैलकुलेशन नए ढंग से होगा. पहले बेस ईयर 2001 था, अब इसे बढ़ाकर 2016 किए जाने का फैसला किया गया है.

हरीशंकर तिवारी के मुताबिक नया बेस ईयर लाने की बात कई दिनों से चल रही थी. 2006 में जब 6वां वेतन आयोग लागू हुआ था तब बेस ईयर 2001 कर दिया गया था. इससे पहले यह 1982 था. साथ ही सरकार बेस ईयर हरेक 6 साल पर बदलने की व्‍यवस्‍था में लगी थी. 

नए इंडेक्‍स में सभी कर्मचारी

तिवारी ने बताया कि अब जो नया इंडेक्स बनेगा उसमें नए इंडस्ट्रियल सेंटर्स को भी शामिल किया गया है, जिससे ऐसे सेंटरों की संख्या 78 से बढ़कर 88 हो जाएगी. 

क्‍यों बदला बेस ईयर

पिछले 15 साल में औद्योगिक कर्मचारियों की जीवनशैली में आने वाले बदलावों का असर शामिल करने के लिए लिस्ट में कार और मोबाइल समेत कई चीजें जोड़ी जा रही हैं. बेस ईयर में बदलाव करने से सरकारी खजाने पर करोड़ों रुपये का असर पड़ने की उम्मीद है.

हर 6 महीने में बदलाव

डियरनेस अलाउंस कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. यह भत्ता सरकारी कर्मचारियों, पेंशनधारकों और पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को दिया जाता है. महंगाई भत्ता इसलिए दिया जाता है कि महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारियों को अपना जीवन-यापन करने में कोई परेशानी न हो. आमतौर पर हर 6 महीने, जनवरी और जुलाई में Dearness Allowance में बदलाव किया जाता है.

ऐसे कैलकुलेट होता है DA

Dearness Allowance % = (Avg of CPI-IW for the past 12 months – Average of CPI-IW recorded in 2015)*100/(Average of CPI-IW recorded in 2015)

(अब इसमें बेस ईयर बदलकर 2001 से 2016 हो जाएगा)