दूरसंचार क्षेत्र में नौकरियों का संकट आ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक इस क्षेत्र में 60,000 कर्मचारियों की नौकरी के जाने का खतरा है. उनका मानना है कि मोबाइल कंपनियों, इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने वाली कंपनियों, टावर कंपनियों और संबंधित खुदरा रीटेल स्टोर पर लागत का दबाव बढ़ रहा है. 

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स्टाफिंग कंपनी टीमलीज सर्विसेस का कहना है कि दूरसंचार क्षेत्र में 31 मार्च तक करीब 65,000 कर्मचारियों को अपनी नौकरी खोनी पड़ सकती है. खासकर कस्टमर सपोर्ट और वित्तीय संरचना से जुड़े कर्मचारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इन दोनों से क्रमश: 8,000 और 7,000 नौकरियां जा सकती हैं.

टीमलीज के सह-संस्थापक ऋतुपर्णा चक्रबर्ती का मानना है कि इससे इंडस्ट्री को स्थिर होने में मदद मिलेगी और फ्रेशर्स के लिए नए मौके खुलेंगे. इसी तरह, रैंडस्टैड इंडिया के सीईओ पॉल डुपुइस कहते हैं कि कारोबार को और मजबूत करने के उद्देश्य से वर्ष 2019 में 60,000-75,000 नौकरियों पर इसका असर देखने को मिल सकता है. इस क्षेत्र से एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 30 सितंबर तक इस क्षेत्र में 15,000-20,000 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, इससे जुड़े सवाल पर रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने ईमेल का जवाब नहीं दिया. हालांकि दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी एक इकाई ने कहा कि इस क्षेत्र का सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है. रैंडस्टैड के एक अनुमान के मुताबिक, टेलीकॉम क्षेत्र में कुल मिलाकर 25 लाख लोग काम करते हैं.