कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला, जॉब में इन पदों पर कन्नड़ लोगों को 100% आरक्षण देने वाले विधेयक को मंजूरी
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ये जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने पोस्ट में कहा कि सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' श्रेणी के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नड़भाषी लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई.
कर्नाटक सरकार का बहुत बड़ा फैसला सामने आया है. कर्नाटक मंत्रिमंडल ने समूह-सी और डी श्रेणियों में कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियों में 100 प्रतिशत आरक्षण समेत कई विधेयकों को मंजूरी दे दी है. राज्यवासियों को शत प्रतिशत आरक्षण देने वाले इस विधेयक को लेकर खुद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ये जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने पोस्ट में कहा कि सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' श्रेणी के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नड़भाषी लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई. विधि विभाग के सूत्रों के अनुसार विधेयक विधानसभा में बृहस्पतिवार को पेश किया जाएगा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार कन्नड़ समर्थक है और कन्नड़ लोगों को अधिक से अधिक नौकरियां और अवसर देने के लिए ऐसा कर रही है. कैबिनेट की बैठक ने राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों को नियुक्त करना अनिवार्य करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी. हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को कन्नड़ की भूमि में नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें मातृभूमि में एक आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए. हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं. हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण की देखभाल करना है.
उद्यमी किरन मजूमदार ने X पर दी प्रतिक्रिया
इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद उद्यमी किरन मजूमदार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा -' टेक हब के तौर पर हमें कुशल प्रतिभा की जरूरत है, जबकि हमारा उद्देश्य स्थानीय लोगों को नौकरी प्रदान करना है, हमें इस कदम से टेक्नोलॉजी में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं करना चाहिए. ऐसी चेतावनियां होनी चाहिए जो अत्यधिक कुशल भर्ती को इस नीति से छूट दें.'
मोहनदास पई बोले रद्द होना चाहिए ये विधेयक
वहीं किरन मजूमदार के पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए मोहनदास पई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि 'इस विधेयक को रद्द कर दिया जाना चाहिए. यह भेदभावपूर्ण, प्रतिगामी और संविधान के विरुद्ध है. क्या यह सरकार प्रमाणित करेगी कि हम कौन हैं? यह Animal Farm जैसा फासीवादी विधेयक है. अविश्वसनीय है आखिर इस तरह का विधेयक कैसे लाया जा सकता है- एक सरकारी अधिकारी निजी क्षेत्र की भर्ती समितियों में बैठेगा? लोगों को भाषा की परीक्षा देनी होगी?' उन्होंने अपनी पोस्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और कांग्रेस को भी टैग किया.