खूनी हिंसा से फिर लाल हुआ बंगाल, दीदी कब छोड़ेंगी अपनी सियासी 'हठ'?
आए दिन हिंसक झड़प और हत्या की खबरें बंगाल को वो जगह बना रही है जहां पर राजनीति और सत्ता की गद्दी के लिए कुछ भी जायज है.
चुनाव खत्म हो गए, नई सरकार बन गई, देश एक नई दिशा में आगे बढ़ने लगा. लेकिन, एक चीज अब भी वहीं की वहीं है और वो है पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा. चुनावों के वक्त सातों चरण के मतदान में बंगाल में कुछ ना कुछ हिंसक गतिविधि होती रही. चुनाव नतीजों के बाद BJP की प्रचंड जीत और TMC को हुए नुकसान के बाद तो जैसे बंगाल हिंसा का गढ़ ही बन गया.
आए दिन हिंसक झड़प और हत्या की खबरें बंगाल को वो जगह बना रही है जहां पर राजनीति और सत्ता की गद्दी के लिए कुछ भी जायज है. चुनाव के नतीजे 23 मई को आए और 24 मई को ही बंगाल के नादिया जिले के चकदाह में एक BJP कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई. ये सिलसिला उसी दिन से चलते आ रहा है. नादिया जिले के बाद बीरभूमि, बांकुरा, कूचबिहार, हुगली, पूर्वी बर्धवान और अब बशीरहाट. कुल मिलाकर पूरे बंगाल में हिंसा ने अपना डेरा जमा लिया है.
हाल ही में बंगाल के नॉर्थ 24 परगना के बशीरहाट के संदेशखली में निजात इलाके में भीषण हिंसा हुई. बशीरहाट की इस हिंसा में TMC के 1 कार्यकर्ता और BJP के 2 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. BJP का आरोप है कि उसके कई कार्यकर्ता अभी गायब हैं. BJP का एक दल जब मारे गए BJP कार्यकर्ताओं के घर जाने लगा तो पुलिस ने BJP डेलीगेशन को वहीं रोक दिया और बहसबाजी शुरू हो गई. पश्चिम बंगाल में चल रही इसी बेकाबू हिंसा के खिलाफ BJP ने सोमवार को बंगाल में काला दिवस मनाया. BJP ने बशीरहाट और पश्चिम बंगाल के बाकी इलाकों में 12 घंटे के बंद का ऐलान किया. पश्चिम बंगाल के इन मौजूदा हालातों पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाए तो वहीं BJP के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने ममता बनर्जी को तानाशाह बताया.
इस बीच बसीरहाट हिंसा के बाद केंद्र सरकार को प. बंगाल में दखल देना ही पड़ा. गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार के लिए एडवायजरी जारी करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल हिंसा को लेकर केंद्र चिंतित है और हिंसा को देखकर लगता है कि बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है. गृह मंत्रालय ने अपनी एडवायजरी में राज्य सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने की नसीहत भी दी.
हालांकि, गृह मंत्रालय की एडवायजरी को ममता सरकार ने खारिज कर दिया. TMC ने गृह मंत्रालय की एडवायजरी को राजनीतिक साजिश कहा. वहीं, पश्चिम बंगाल की सरकार की हाईलेवल मीटिंग के बाद सरकार ने राज्य में हालात नियंत्रण में होने का दावा किया. इस बीच राज्य में बढ़ती हिंसा के बाद राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और बंगाल की स्थिति का ब्यौरा सौंपा. राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर बंगाल की स्थितियों के बारे में जानकारी दी.
सवाल ये है कि क्या बंगाल में अब हालात राज्य सरकार की पहुंच से बाहर हो गए हैं? क्या बंगाल सरकार अपने राज्य में शांति कायम करने में अक्षम महसूस कर रही है? क्या राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने वाला है? आखिर कब ममता दीदी अपनी सियासी हठ छोड़कर राज्य की कानून व्यवस्था पर ध्यान देंगी?