राजस्थान में ज्यादातर हिस्सों में गेहूं की बोआई हो चुकी है और फसल खाद की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में अचानक ही यूरिया की मांग बढ़ गई है. यूरिया की मांग बढ़ने और सप्लाई कम होने से खाद गोदामों में यूरिया की किल्लत हो गई है. उधर, यूरिया नहीं मिलने से किसानों में आक्रोश पैदा हो गया है, क्योंकि वे जरूरत पर अपनी फसल को पोषक तत्वों की खुराक नहीं दे पा रहे हैं. खाद की कमी को लेकर कई स्थानों पर किसानों ने धरने-प्रदर्शन भी किए. खाद लेने के लिए किसानों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है. आलम ये है कि कुछ जगहों पर पुलिस के पहरे में भी यूरिया बिक रहा है.

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उधर, कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने दिल्ली में केंद्र के अधिकारियों से बातचीत कर राजस्थान के लिए यूरिया के अतिरिक्त आवंटन की मांग की है. 

धक्का-मुक्की के बाद भी निराशा

राजस्थान के कई जिलों से यूरिया की किल्लत के समाचार मिल रहे हैं. झालावाड़ जिले के किसान लंबी लाइनों में खड़े होकर यूरिया खाद के दो कट्टे पाने के लिए घंटों मशक्कत कर रहे हैं, इसके बावजूद दर्जनों किसानों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है. झालावाड़ जिले के खानपुर, बकानी, अकलेरा, मनोहर थाना और झालरापाटन में किसानों की लंबी कतारे देखी जा सकती हैं. कंबल ओढ़ कर सुबह से ही किसान यूरिया लेने के लिए लाइन में खड़े हो जाते हैं.

यूरिया खाद से भरा ट्रक आने के साथ ही दुकानों पर किसानों की भीड़ उमड़ पड़ती है और खाद पाने के लिए किसानों में धक्का-मुक्की शुरू हो जाती है. हालात ये हैं कि पुलिस की निगरानी में किसानों को आधार कार्ड पर 1-2 कट्टा यूरिया वितरित किया जा रहा है. 

कम हो सकता है उत्पादन

परेशान किसानों ने बताया कि रबी की फसलों में सिंचाई के साथ यूरिया खाद की जरूरत होती है. गेहूं व लहसुन के उत्पादन बढ़ाने के लिए यूरिया की आवश्यकता होती है, लेकिन समय पर यूरिया की आपूर्ति के अभाव में फसलों का उत्पादन अब प्रभावित होने लगा है. जिसके चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है.

उधर, अधिकारी खाद की किल्लत से मना कर रहे हैं. ज़ी मीडिया से बातचीत के दौरान झालावाड़ कृषि उपनिदेशक आतिश कुमार शर्मा ने कहा कि जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है, और सीमावर्ती मध्य प्रदेश के किसान भी यूरिया ले जा रहे हैं, जिससे कहीं थोड़ी बहुत समस्या आ रही है.

जब ज़ी मीडिया ने कृषि उपनिदेशक से सड़कों पर दिख रही किसानों की लंबी कतारों की बात कही तो वे किसानों को यूरिया का कम उपयोग करने की सलाह देने की कोशिश में लग गए और कहा कि ज्यादा यूरिया का उपयोग किसानों को नहीं करना चाहिए. बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि इस बार एमओयू लेट होने से आगे से ही यूरिया की उपलब्धता देरी से हो रही है. साथ ही परिवहन के लिए वाहन भी देर से पहुंचने से किसानों को खाद बांटने में देरी हो रही है.

पुलिस थाने-चौकी में बंट रहा है यूरिया

बारां जिले में भी किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और खाद नही मिलने से किसानों का आक्रोश फूट रहा है. छीपाबडौद में पांच दिन पहले किसानों को खाद के लिए पुलिस की लाठियां खानी पड़ी थीं, जिसमें 5 किसान घायल तक हो गए. केलवाडा में खाद नही मिलने से किसानों का गुस्सा फुट गया ओर उपतहसील के बाहर जाम लगाकर कर प्रदर्शन किया.

आलम ये है कि यहां पुलिस थानों से खाद का वितरण हो रहा है. खाद पाने के लिए किसानों की पुलिस चौकी ओर थानों के बाहर कतार लग जाती है. कई महिला किसान तो सुबह से ही बच्चों के साथ खाद के लिए कतार में लग जाते हैं. बारां और बूंदी जिले में हालत सबसे ज्यादा खराब हैं. अभी तक करीब 1 लाख 39 हजार मीट्रिक टन यूरिया आया है. मार्च तक 2.50 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य है. 

कोटा में भी खाद का टोटा

कोटा जिले में पिछले एक माह से चल रही यूरिया की किल्लत किसानों के लिए परेशानी बन रही है. यूरिया के लिए भटक रहे किसानों का गुस्सा आए दिन सड़कों पर निकल रहा है. जिले के इटावा सुल्तानपुर सांगोद रामगंजमंडी समेत पूरे जिले भर में इन दिनों किसान यूरिया खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं. बीते शुक्रवार को भी इटावा में बड़ी संख्या में किसान अंबेडकर सर्किल पर एकत्रित हुए और सड़क पर जाम लगा दिया. 

केंद्र से मदद की मांग

मुख्यमंत्री के निर्देश पर कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव अभय कुमार दिल्ली पहुंचे. वहां केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्रालय के सचिव से मुलाकात हुई और उन्होंने राजस्थान के लिए 60 हजार मीट्रिक टन यूरिया के अतिरिक्त आवंटन की मांग की. दिल्ली से लौटकर अभय कुमार ने यूरिया उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक की और चंबल फर्टिलाइजर तथा श्रीराम फर्टिलाइजर निर्देश देते हुए कहा कि दोनों कंपनियां सड़क मार्ग से भी यूरिया की सप्लाई सुनिश्चित करें.

इस बीच में दिल्ली से रेलवे की 11 रैक रवाना हो गई हैं, जिसमें 33 हज़ार मीट्रिक टन यूरिया है. इसके साथ ही 7 दिन के भीतर 34 रेलवे रैक एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया लेकर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच जाएंगी. कृषि विभाग का आकलन है कि लहसुन में अच्छा भाव नहीं मिलने के चलते लहसुन किसान इस बार गेहूं की बोआई का रुख कर चुके हैं, जिससे यूरिया की मांग में इजाफा हुआ है.