खाने की कमी से जूझ रहा हर दसवां इंसान, 310 करोड़ लोगों की पहुंच से बाहर है पोषक आहार - UN REPORT
UN Report: दुनिया का हर दसवां इंसान खाने की कमी से जूझ रहा है. पिछले 4 वर्षों में 12 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी की लिस्ट में जुड़ गए हैं. पिछले 4 वर्षों में 12 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी की लिस्ट में जुड़ गए हैं.
UN Report: दुनिया का हर दसवां इंसान खाने की कमी से जूझ रहा है. यूएन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष यानी 2022 में दुनिया के करीब 73 करोड़ लोग रोजाना बिना कुछ खाए सोने को मजबूर थे. संयुक्त राष्ट्र ने जो लेटेस्ट रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक 2019 में तकरीबन 8 प्रतिशत लोग भरपेट भोजन नहीं मिला, 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 9.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है. ये आंकड़े हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट The State of Food and Security and nutrition in the World – 2023 में जारी किए गए हैं.
अफ्रीका में हर पांचवा इंसान खाने की कमी से पीड़ित पिछले 4 वर्षों में कोरोना और रुस यूक्रेन युद्द की वजह से ये आंकड़े और खराब हुए हैं. पिछले 4 वर्षों में 12 करोड़ से ज्यादा लोग भुखमरी की लिस्ट में जुड़ गए हैं. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक एशिया ने अपने हालात सुधारने पर काफी काम किया है लेकिन अफ्रीका और युद्द प्रभावित यूक्रेन के हालात बिगड़ गए.अफ्रीका में हर पांचवा इंसान खाने की कमी से पीड़ित है. जबकि ग्लोबल औसत इसकी आधी है. अफ्रीका की 20 प्रतिशत जनसंख्या को भोजन का संकट है. 8.5% लोग रोज खाने के संकट से जूझ रहे एशिया में 8.5% लोग अभी भी रोज खाने के संकट से जूझ रहे हैं. दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन में 6.5 फीसदी इस समस्या से पीड़ित है. आज की तारीख में दुनिया के 73 करोड़ लोगों को ये नहीं पता होता कि आज खाना मिलेगा या नहीं, वहीं 310 करोड़ लोग भूख से कम खाना खा रहे हैं या जो वो खा रहे हैं वो सेहतमंद खाना नहीं है. 15 करोड़ बच्चों की लंबाई औसत से कम रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के करीब 15 करोड़ बच्चों की लंबाई औसत से कम है. शहरों में 22% तो गांवों में 35% की लंबाई कम है. साढ़े चार करोड़ बच्चे उम्र के हिसाब से कम वजन के हैं. जबकि 3.7 करोड़ बच्चे औसत से ज्यादा वजन के हैं – शहरों में 5.7% तो गांवों में 3% बच्चे उम्र के हिसाब से ज्यादा वजन के हैं. इन सबके पीछे खराब खाना और कम खाना दोनों ही परेशानियां हैं. भारत में भूखे लोगों की संख्या 22.4 करोड़ यूएन का आकलन है कि अगर हालात नहीं सुधारे गए तो 2030 तक 60 करोड़ लोग कम खाने की वजह से बीमार पड़ेंगे. हालांकि भारत के हालात पहले से बेहतर तो हुए हैं लेकिन सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में अभी भी कई लोग रोज भूखे सो रहे हैं. यूएन की 2021 की इसी रिपोर्ट में भारत में भूखे लोगों की संख्या 22.4 करोड़ बताई गई. ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने काफी सुधार किया है. 2004 में कुपोषितों की संख्या 21% भारत में 2004 में कुपोषितों की संख्या 21% थी जो 2022 में कम होकर 16.6% हो गई. छोटे कद के बच्चे 41.6% से कह होकर 31.7% हो गए.2012 में मोटे बच्चों की संख्या भारत में 2.2% थी जो 2022 में 2.8% हो गई है.बड़ों में भी ये संख्या 3.1% से बढ़कर 3.9% हो गई. भारत में 2017 में 79% लोग सेहतमंद खाना नहीं खा सकते थे. 2021 में ये संख्या कम होकर 76% हो गई है. 14 करोड़ लोग रात में भूखे पेट सो रहे हैं आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2018 में 19 करोड़ लोग ऐसे थे जिन्हें रोज तीन वक्त का भरपेट खाना नहीं मिलता. 2022 में ये संख्या बढ़कर 35 करोड़ हो गई. 14 करोड़ लोग रात में भूखे पेट सो रहे हैं. 5 साल की उम्र तक के 34% बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम वजन और हाइट वाले हैं. पिछले वर्ष अक्टूबर में जारी किए गए ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global hunger index) में 107 देशों में भारत 94वें स्थान पर है. हो सकता है आप आज भरपेट खाने के बाद ये खबर देख रहे हो –इसीलिए आप ऐसे भारत की कल्पना ना कर पाएं जो भूखा है. इसलिए आज हम उस भारत से भी आपका परिचय करा देते हैं. 2019 में 69 करोड़ टन खाना डस्टबिन में जा रहा दुनिया में 2019 में 69 करोड़ टन खाना डस्टबिन में गया और उसी साल 69 करोड़ लोग भरपेट भोजन से दूर रहे और रातों को भूखे ही सो गए. भारत में एक व्यक्ति औसतन 137 ग्राम प्रतिदिन और सालाना 50 किलोग्राम भोजन बर्बाद कर देता है. भारत में कुपोषित बच्चों और मोटे वजन वाले बच्चों की संख्या धीरे धीरे बराबर होती जा रही है. हालांकि अभी भी कुपोषित और खाने से महरूम बच्चों की संख्या ज्यादा ही है. रोज़ाना 1500 से 2500 कैलोरी खाना खाने की जरूरत एक इंसान को सेहतमंद रहने के लिए रोजाना 1500 से 2500 कैलोरी खाना खाने की जरूरत होती है. महिलाओं को थोड़ा कम, पुरुषों को थोड़ा ज्यादा और बाकी हिसाब किताब इस बात से तय होता है कि आप कितनी शारीरिक मेहनत करते है. लेकिन अगर किसी को कम से कम 500 कैलोरी भी मिल जाए – यानी एक वक्त का खाना भी ठीक से मिले तो वो जीने के लिए न्यूनतम जरूरत जितना हो जाएगा. खाने की बर्बादी न करें भारत विकास की गति सुस्त रफ्तार से पकड़ रहा है. 142 करोड़ जनसंख्या का बोझ हर संसाधन पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में आप अपना योगदान दे सकते हैं. थाली में उतना ही भोजन लें, जितना आप खा सकें. बहुत सारा भोजन जमा करके ना रखें.अपनी भूख से थोड़ा कम खाना खाया जाए तो सेहत के लिए फायदेमंद रहता है. खाने की बर्बादी कम करके प्रदूषण भी कम किया जा सकता है – बर्बाद खाना 8-10% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार होता है.