विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मंगलवार को छात्रों को महाराष्ट्र में डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस (Digital University of Skill Resurgence) में एडमिशन लेने को लेकर चेताया है. UGC ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी एक गैर-मान्यता प्राप्त 'सेल्फ स्टाइल्ड इंस्टीट्यूशन' है, जिसके पास डिग्री इश्यू करने का कोई अधिकार नहीं है. यूजीसी ने कहा कि UGC Act के नियमों का उल्लंघन भी कर रही है.

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यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा, "यह UGC के संज्ञान में आया है कि डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस (A Virtual Meta University), रिंग रोड, वर्धा (महाराष्ट्र) यूजीसी अधिनियम, 1956 के नियमों का घोर उल्लंघन करने हुए विभिन्न पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों की पेशकश कर रहा है"

कौन जारी कर सकता है डिग्री

यूजीसी एक्ट, 1956 की धारा 22 के प्रोविजन के अनुसार, डिग्री प्रदान करने या देने का अधिकार केवल एक केंद्रीय अधिनियम, एक प्रांतीय अधिनियम या एक राज्य अधिनियम या एक संस्थान जिसे धारा 3 के तहत एक विश्वविद्यालय माना जाता है या संसद के एक अधिनियम द्वारा विशेष रूप से अधिकार प्राप्त संस्थान द्वारा स्थापित या निगमित किया जाता है, के पास ही होता है.

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ये संस्थान नहीं होते हैं 'विश्वविद्यालय'

उन्होंने कहा कि डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्किल रिसर्जेंस (Digital University of Skill Resurgence) को न तो विश्वविद्यालयों की सूची में धारा 2(1) या धारा 3 के तहत सूचीबद्ध किया गया है और न ही यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 22 के अनुसार कोई डिग्री प्रदान करने का अधिकार है. इशके साथ ही, केंद्रीय अधिनियम, प्रांतीय अधिनियम या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित या निगमित विश्वविद्यालय के अलावा कोई भी संस्थान, चाहे कॉर्पोरेट निकाय हो या नहीं, किसी भी तरह से अपने नाम से जुड़े "विश्वविद्यालय" शब्द का हकदार नहीं होगा.