दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री तथा पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार की रात नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. 67 वर्षीय सुषमा स्वराज ने दिल का दौरा पड़ने के बाद अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर से देश में शोक की लहर दौड़ गई है. आज बुधवार दोपहर बाद लोधी रोड पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीजेपी की दिग्‍गज नेता सुषमा स्‍वराज मजबूत इरादों वाली महिला थीं. उन्होंने भारतीय राजनीति में कई कीर्तिमान स्थापित किए. आम आदमी की मदद के लिए वह हमेशा आगे रहती थीं. विदेश मंत्री रहते हुए वह विदेशों में रहने वाले भारतीयों हर तरह की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती थीं. अंबाला कैंट रेजिमेंट बाजार में सुषमा स्वराज का बचपन बिता था.

सुषमा स्वराज ने बहुत कम उम्र में ही भारत की राजनीति में रुचि लेनी शुरू कर दी थी. उन्होंने 1970 में राजनीतिक सफर की शुरुआत की और साल 1977 में हरियाणा में पहली बार विधायक बनीं. वह हरियाणा की सबसे उम्र की मंत्री भी बनीं. साल 1996 में वाजपेयी सरकार में सुषमा स्वराज सूचना-प्रसारण मंत्री बनीं. 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुईं. मोदी सरकार में वह मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं. कमजोर सेहत के चलते उन्होंने 2019 की लोकसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लिया.

सोनिया गांधी को टक्कर देने के लिए सीखी कन्नड़

सुषमा स्‍वराज का सबसे मशहूर मुकाबला कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ रहा. 1990 के दशक में सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा भारतीय राजनीति के केंद्र में था. कांग्रेस की कमान संभालने के बाद सोनिया गांधी ने कर्नाटक के बेल्‍लारी से लोकसभा चुनाव लड़ा. बेल्‍लारी सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. सोनिया गांधी की चुनावी मुहिम के लिए उसको सबसे सुरक्षित सीट माना गया. 

 

देखें ज़ी बिजनेस लाइव टीवी

बीजेपी ने सोनिया गांधी को टक्‍कर देने के लिए सुषमा स्‍वराज को बेल्‍लारी से मैदान में उतार दिया. वह उस दौर में सोनिया के विदेशी मूल के मुद्दे पर काफी मुखर भी थीं. हालांकि, कर्नाटक में उस वक्‍त बीजेपी की पकड़ अच्छी नहीं थी लेकिन, सुषमा ने चुनौती को स्‍वीकार किया.

खास बात यह थी कि कर्नाटक के लोगों से संवाद करने के लिए सुषमा स्वराज ने कन्नड़ भाषा सीखी. भले ही इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल न हुई हो, लेकिन केवल 2 हफ्ते के चुनाव प्रचार में कन्नड़ भाषा में कर्नाटक के लोगों के सामने अपनी बात रखकर उन्होंने बेल्‍लारी के लोगों का दिल जीत लिया. इस चुनाव में सुषमा स्‍वराज को 3,58,000 वोट मिले और हार-जीत का अंतर महज 7 फीसदी का रहा.