आईना दिखाता सर्वे: मोबाइल फोन से रिश्ता 7 घंटे, बच्चों से रिश्ता 2 घंटे, 'स्मार्टफोन के बिना नहीं रह सकते'
90% से ज्यादा माता-पिता और बच्चे आपसी रिश्तों को लेकर अपराध बोध के शिकार – माना – मोबाइल के बिना नहीं रह सकते. जानिए इस सर्वे से जुड़े तमाम आंकड़े.
इस सर्वे के आंकड़े माता-पिता को शर्मिंदा कर सकते हैं और अपराध बोध का शिकार भी बना सकते हैं, लेकिन सच को जितना जल्दी स्वीकार कर लिया जाए – समस्या का समाधान उतना ही आसान हो सकता है. ये सर्वे मोबाइल फोन की वजह से माता-पिता और बच्चों के रिश्तों पर पड़ने वाले असर को लेकर किया गया है.
मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी वीवो, साइबर मीडिया रिसर्च के साथ मिलकर पिछले पांच साल से मोबाइल फोन वाली आदतों पर सर्वे कर रही है. सर्वे में सामने आया है कि 2019 में 5 घंटे मोबाइल फोन को मिलने वाला औसत समय था तो 2023 में 6.3 घंटे मोबाइल में स्वाहा हो रहे हैं. यानी 2019 के पूरे साल में 1862 घंटे फोन में चले गए तो 2023 में 2298 घंटे साल में से मोबाइल फोन में चले गए. ये सर्वे 15 से 50 साल के 1500 लोगों पर किया गया – इस बार सर्वे में बच्चों और माता पिता के नजरिए को अलग अलग तरीके से देखा गया और उनके मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के कारण और मोबाइल से हो रही मानसिक परेशानियों पर गौर किया गया.
सर्वे को बारीकी से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि बच्चों से ज्यादा मोबाइल फोन की गुलामी के लिए माता पिता जिम्मेदार हैं. इसलिए बच्चों को मोबाइल फोन से हो रही मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचाना है तो पहले मां बाप को अपने हाथ में थामा फोन दूर करना होगा तभी वो बच्चों को बेहतर जीवन दे पाएंगे.
मां बाप को आईना दिखाता सर्वे – नतीजे देखने के बाद कुछ देर मोबाइल फोन जरूर ऑफ करें
90% माता पिता ने माना कि वो फोन के बिना नहीं रह सकते.
मोबाइल फोन पर औसतन साढ़े सात घंटे बिता रहे हैं.
92% माता पिता के मुताबिक फोन का ज्यादा इस्तेमाल घर में कर रहे हैं – यानी जो फैमिली टाइम या Me Time होना चाहिए वो मोबाइल फोन टाइम में बदल गया है.
हालांकि 94% ने स्वीकार किया कि अगर वो अपने बच्चों से या घर में किसी से बात करें तो वो ज्यादा रिलेक्स महसूस करते हैं.
93% मां बाप अपने बच्चों को पूरा टाइम नहीं दे रहे.
90% ने माना कि वो बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिता रहे.
94% माता पिता अपने बच्चों की मानसिक सेहत को लेकर परेशान हैं.
91% को बच्चों के विकास पर असर पड़ता नजर आ रहा है.
91% को लगता है कि बच्चों को बाहर खेलने में ज्यादा समय बिताना चाहिए.
91% माता पिता को लगता है कि बच्चों के मोबाइल फोन के इस्तेमाल करने पर कुछ पाबंदियां होनी चाहिए.
92% को लगता है कि बच्चे फोन का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.
इसके बावजूद हालत ये है कि मां बाप खुद अपनी आदत नहीं सुधार पा रहे -
77% ने ये माना कि उनके बच्चे अपने माता पिता से हर वक्त फोन पर बिजी रहने की शिकायत कर चुके हैं.
90% ने माना कि जब वो फोन में बिज़ी होते हैं और उनके बच्चे कुछ पूछ लें तो मां-बाप irritate यानी चिड़चिड़े हो जाते हैं.
अलग अलग लोगों के लिए स्मार्टफोन की अहमियत अलग अलग
70% अभिभावकों के लिए स्मार्ट फोन जानकारी हासिल करने या दुनिया से जुड़ने का ज़रिया है.
62% को लगता है कि मोबाइल फोन से वो परिवार और दोस्तों से जुड़े रह सकते हैं.
59% को लगता है कि स्मार्टफोन उनकी पर्सनेलिटी का प्रतिबिंब है – यानी सोशल मीडिया अकाउंट्स पर उनकी पोस्ट, तस्वीरें, वीडियो – लाइक्स उनकी पर्सनेलिटी का पता देती हैं.
55% लोगों के लिए बैंकिंग आसान हुई है.
और 53% लोगों के लिए खरीदारी आसान हो गई है.
गॉसिप में महिलाएं बदनाम, लेकिन मोबाइल फोन पर बिजी रहने में पुरुष हैं आगे
फोन पर टाइम बिताने में पुरुष महिलाओं से आगे हैं. मोबाइल फोन यूज़ का औसत टाइम 7.7 घंटे है लेकिन पुरुषों का औसत 7.9 जबकि महिलाओं का औसत 7.2 है.
40 प्रतिशत महिलाएं और 40% ही पुरुष ऐसे हैं जो 7-8 घंटे मोबाइल फोन में बिज़ी हैं.
37% पुरुष और 25% महिलाएं ऐसी भी हैं जो 8 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए मोबाइल फोन में बिज़ी रहते हैं.
भारत में केवल 5% पुरुष और केवल 12% महिलाएं ऐसी हैं जिनका मोबाइल फोन में व्यस्त रहने का समय 4 घंटे से कम है.
मोबाइल फोन में घुसे लोगों का समय कहां जा रहा है अब आपको ये भी बता देते हैं –
सबसे ज्यादा 39 मिनट सोशल मीडिया पर बीत रहे हैं जिसमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं.
38 मिनट वीडियो देखने या बनाने में बीत रहे हैं – इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वाट्सएप पर ये समय जा रहा है. इस लिहाज से देखें तो आपके दिन के रोज़ाना कुल 77 मिनट केवल सोशल मीडिया ले जाता है.
38 मिनट ऑनलाइन ऑफिस मीटिंग्स में बीत रहे हैं.
36 मिनट इंटरनेट पर कुछ सर्च करने में बीत रहे हैं.
36 मिनट Whatsapp Telegram वगैरह पर पर्सनल चैट्स में बीत रहे हैं
36 मिनट गेमिंग में जा रहे हैं.
स्मार्टफोन की गुलामी कर रहे हैं आप !! क्या आपको पता चला ?
87% ने माना कि सुबह आंख खुलते ही सबसे पहले दर्शन मोबाइल फोन के किए जाते हैं.
73% माता पिता ने कहा सोने से पहले आखिरी दर्शन भी मोबाइल फोन की स्क्रीन के ही होते हैं.
60 प्रतिशत लोगों ने माना कि वो चाहे परिवार के साथ बैठे हों, या खाने की टेबल पर – मोबाइल साथ में रहता है.
61% के मुताबिक दोस्तों या परिवार के साथ बाहर गए हों या मूवी देख रहे हों तो भी मोबाइल फोन उनका ध्यान खींच लेता है.
बच्चों का नज़रिया अपने माता पिता को लेकर क्या है ये जानना भी अहम है तो सर्वे में बच्चों से भी सवाल किए गए – बच्चों के मुताबिक
90% बच्चों को लगता है कि उनके मां बाप मोबाइल में ही रहते हैं और असल दुनिया से दूर हैं.
96% को लगता है कि मां बाप सोशल मीडिया को ही असल ज़िंदगी मान रहे हैं.
94% को लगता है कि मां बाप बच्चों के बारे में भी सोशल मीडिया से ही जानकारी जुटा रहे हैं.
92% को लगता है कि मां बाप घर में हों तब भी मोबाइल फोन को ही रिलेक्स करने का जरिया बना लेते हैं.
केवल 50% माता पिता बच्चों के साथ केवल दो घंटे का समय बिता रहे हैं.
अब आईना दिखाने वाला आंकड़ा – स्मार्टफोन पर बिताया गया औसत समय है 7.7 घंटे लेकिन बच्चों के साथ बिताया जाने वाला कुल समय हो चुका है केवल 2 घंटे. और ये दो घंटे का समय सर्वे से निकला हुआ औसत समय है –
केवल 51% पुरुष और 43% महिलाएं ही अपने बच्चों को दो घंटे दे रहे हैं.
11% पुरुष और 9% महिलाएं बच्चों को 1 घंटे से कम समय दे रहे हैं.
34% महिलाएं और 28% पुरुष अपने बच्चों को 2 से 4 घंटे दे पाते हैं.
4 घंटे से ज्यादा समय बिताने वालों में केवल 11% महिलाएं और 8% पुरुष शामिल हैं.
केवल 1% लोगों ने माना कि वो बच्चों के साथ समय बिताते हुए फोन नहीं देखते.
34% ने कहा कि वो बच्चों के साथ होते हुए भी हमेशा मोबाइल देखते रहते हैं.
40% ने कहा कि वो अक्सर मोबाइल में बिज़ी हो जाते हैं.
10% ने कहा कि वो ऐसा बहुत कम करते हैं.
15% ने कहा कभी कभार वो बच्चों के साथ रहते हुए मोबाइल में बिजी हो जाते हैं.
भारत में औसतन 14 साल की उम्र तक माता पिता बच्चे को उसका अलग फोन दे देते हैं. इसके कारण अलग अलग हैं. सबसे ज्यादा-
37% ने कहा कि वो बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से उन्हें फोन दे देते हैं.
31% के मुताबिक बच्चे को पढ़ाई के लिए मोबाइल की जरुरत है.
20% ने माना कि बच्चे ने कहा कि उसके दोस्तों के पास फोन है तो उसे भी चाहिए.
12% ने ईनाम या गिफ्ट के तौर पर बच्चे को स्मार्ट फोन दिलाया है.
हालांकि 89% का दावा है कि वो बच्चों को फोन में Parent Control लगा कर रखते हैं.
स्मार्ट फोन की आदत नहीं जाती - और Guilt यानी अपराध बोध भी नहीं जाता
96% माता पिता अपने बच्चों के साथ रिश्तों को और गहरा करना चाहते हैं.
91% माता पिता को लगता है कि वो अपने बच्चों के साथ कम समय बिता रहे हैं – उन्हें और समय बिताना चाहिए.
93% मां बाप को लगता है कि बच्चे स्मार्टफोन में parent control सेटिंग्स होनी चाहिए.
बच्चे कितना समय बिता रहे हैं स्मार्ट फोन पर?
83% बच्चों को लगता है कि मोबाइल फोन उनकी ज़िंदगी का अभिन्न अंग है जबकि उसी में 91% बच्चे मानते हैं कि वो माता पिता से फेस टू फेस बात करें तो उन्हें ज्यादा आनंद आता है. बच्चे फोन पर औसतन साढे 6 घंटे बिता रहे हैं.
मोबाइल फोन से बच्चों का रिश्ता माता पिता वाले रिश्ते से ज्यादा गहरा?
87% बच्चों को मोबाइल ना होने से कमतर होने का अहसास होता है - inferiority complex.
72% बच्चों ने माना कि वो मां बाप से बात करते वक्त भी स्मार्टफोन में बिजी रहते हैं.
87% ने माना कि वो मां बाप से रुखाई से बात करते हैं क्योंकि उनका मोबाइल फोन टाइम डिस्टर्ब हो जाता है.
78% बच्चों ने स्वीकार किया है कि उनके माता पिता उनसे हर वक्त स्मार्टफोन में रहने की शिकायत कर चुके हैं.
93% बच्चों के मन में अपने माता पिता के साथ अपने रिश्तों को लेकर अपराधबोध है.
83% बच्चों को लगता है कि उन्हें अपने माता पिता के साथ ज्यादा समय बिताना चाहिए.
क्यों चाहिए बच्चों को स्मार्टफोन?
59% को जानकारी सर्च करने के लिए
58% को सबसे कनेक्ट रहने के लिए
55% को अपनी पर्सनेलिटी के बारे मे बताने के लिए
50% को शॉपिंग के लिए और
48% को अपने आइडिया दुनिया से शेयर करने के लिए स्मार्ट फोन की जरुरत है.
भारत का युवा मोबाइल गेम्स में कैद है
32% लड़के और 30% लड़किया मोबाइल फोन पर रोज 5-6 घंटे बिता रहे हैं.
31% लड़किया और 23% लड़के 7-8 घंटे मोबाइल में बिजी हैं.
केवल 24% लड़के और 17% लड़कियां 4 घंटे से कम समय मोबाइल को दे रहा है.
बच्चों का सबसे ज्यादा समय- रोज के 35 मिनट गेमिंग में जा रहे हैं.
33 मिनट स्कूल के कामों जा रहे हैं.
32 मिनट वीडियो, रील्स वगैरह में और 31 मिनट सोशल मीडिया पर जा रहे हैं
31 मिनट इंटरनेट सर्च करने में जा रहे हैं.
83% फोन के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते.
83% बच्चे उठते ही और 69% सोने से पहले फन के दर्शन करते हैं.
53 से 59% बच्चों के मुताबिक वो चाहे परिवार के साथ हों या खाना खा रहे हों – बाहर घूम रहे हों या मूवी में हों – मोबाइल चेक करते रहते हैं.
86 से 90% बच्चों ने माना कि वो घर पर सबसे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं और फोन में होते समय वो असल दुनिया से कट जाते हैं. वो मोबाइल फोन पर जो देखते हैं उसी को सच मानते हैं और फोन ही उनके लिए राहत का ज़रिया है.
एक तरफ हर चार में से तीन बच्चे मां बाप की मोबाइल फोन में घुसे रहने की आदत से परेशान हैं तो दूसरी तरफ हर 4 में से 3 बच्चों ने ये भी माना कि वो मां बाप से बात करते वक्त भी मोबाइल में ही घुसे रहते हैं. 46% बच्चों ने तो यहां तक माना कि वो हमेशा मोबाइल में देखते हुए ही माता पिता से बात करते हैं.
44% बच्चे अपने मां बाप के साथ दो घंटे बिताते हैं
4% बच्चे केवल 15-30 मिनट ही मां बाप के साथ होते हैं
केवल 11% बच्चे ऐसे हैं जो रोजाना 4 घंटे से ज्यादा समय माता पिता के साथ बिता रहे हैं.
मोबाइल फोन से बच्चों में भी है अपराध बोध
93% बच्चे गिल्ट का अनुभव करते हैं कि वो अपने माता-पिता के साथ टाइम नहीं बिता रहे.
91% बच्चे मां बाप की मोबाइल की आदतों से अकेलेपन के शिकार हो रहे हैं.
83% बच्चों को लगता है कि मांबाप के साथ बिताया समय कम है हालांकि वो उन्हें रिलेक्स कर सकता है.
बच्चों ने माना कि मोबाइल बना रहा है उन्हें दिमागी तौर पर बीमार
वीवो मोबाइल फोन के सर्वे में सबसे परेशान करने वाले आंकड़े ये हैं कि
90% बच्चे मानते हैं कि मोबाइल फोन से उनकी मानसिक सेहत पर बुरा असर हुआ है.
91% बच्चों को लगता है कि मोबाइल फोन ना मिले तो उनमें एंगजाइटी यानी बेचैनी बढ़ जाती है.
89% बच्चे ऑनलाइन पर इंफ्लुएंसर और दूसरे लोगों की बेहतर जिंदगी देखकर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं.
90% बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं.
84% बच्चों मे मोबाइल फोन में रहने की वजह से बातें करने की आदत खत्म हो गई है.
88% बच्चे भविष्य में माता पिता के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहते है और 93% को लगता है कि उनके माता पिता से रिश्ते और गहरे और बेहतर होने चाहिए.
सर्वे में सामने आया कि बच्चे अकेलेपन से बचने के लिए मोबाइल में घुसे रहते हैं – मां बाप के नजरअंदाज करने को महसूस करने से बचने के लिए मोबाइल फोन में बिजी हो जाते हैं. नतीजे देखने के बाद कंपनी के क़ारपोरेट स्ट्रेटेजी हेड गीतज चानन्ना की अपील है हर साल में एक दिन मोबाइल स्विच ऑफ करने की कैंपेन चलाई जाए –इस साल 20 दिसंबर को एक घंटे के लिए मोबाइल फोन स्विच ऑफ करने की अपील की गई है.