सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश में क्रिप्टोकरंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी. इससे पहले 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. यानि अब आप क्रिप्‍टोकरंसी (Cryptocurrency) की मदद से बिटक्‍वाइन (Bitcoin) जैसी Digital Currency खरीद पाएंगे. हालांकि दिसंबर 2019 में RBI ने जब अपनी मॉनिटरी पॉलिसी की समीक्षा की थी तभी साफ कर दिया था कि इस तरह की किसी भी आभासी मुद्रा के चलन को भारत में मंजूरी नहीं दी जाएगी. क्रिप्टो करंसी के चलन पर सरकार ने जुलाई 2019 में रोक लगाई थी. केंद्रीय बैंक ने कहा था कि डिजिटल करेंसी पर अभी स्टडी किया जा रहा है.

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रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा था कि दुनिया भर में सरकारें और केंद्रीय बैंक निजी डिजिटल मुद्रा के खिलाफ हैं, क्योंकि मुद्रा जारी करने का अधिकार सरकारी एजेंसी के पास है.

इससे पहले सरकार जुलाई 2019 में संसद में विधेयक लाई थी, जिसमें तय हुआ था कि क्रिप्टोकरंसी जैसे बिटक्‍वाइन को रखने, बेचने या खरीदने पर 10 साल की जेल हो सकती है. 

'क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध और नियमन आधिकारिक डिजिटल करंसी विधेयक 2019' के मसौदे में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग, जनरेट, रखने, बेचने, हस्तांतरित, नष्ट करने, जारी करने और सौदा करने में लिप्त व्यक्ति को 10 साल जेल का प्रस्ताव दिया गया है. इसे पूरी तरह से अवैध बनाने के अलावा विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी रखने को गैर-जमानती अपराध बनाया गया है.

क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल करंसी होती है, जो सुरक्षा के क्रिप्टोग्राफी का इस्‍तेमाल करती है और ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है. बिटक्‍वाइन दुनिया में सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरंसी है.

आर्थिक मामलों के ततकालीन सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने बताया था कि पिछले कुछ समय से क्रिप्टोकरंसी को प्रतिबंधित करने के बिल के मसौदे पर काम कर रहे हैं. एक तरफ सरकार जहां क्रिप्टोकरंसी पर जल्द ही प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है, वहीं भारत की खुद की डिजिटल करंसी लांच करने की भी तैयारियां चल रही हैं.