शुगर मिलों के बकाया भुगतान में भारी कमी, ज्यादातर किसानों को हुआ पेमेंट
शुगर इंडस्ट्री का हालात सुधर रहे हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का जो बकाया भुगतान था, उसमें लगातार कमी आ रही है. 2018-19 की सीजन में चीनी मिलों पर 85,000 करोड़ रुपये के आसपास का बकाया था, जो कि अब घटकर 15,222 करोड़ रुपये हो गया है.
शुगर इंडस्ट्री का हालात सुधर रहे हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का जो बकाया भुगतान था, उसमें लगातार कमी आ रही है. 2018-19 की सीजन में चीनी मिलों पर 85,000 करोड़ रुपये के आसपास का बकाया था, जो कि अब घटकर 15,222 करोड़ रुपये हो गया है.
चालू सीजन में उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 9,746 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है.
मिलों पर किसानों का 15,222 करोड़ बकाया
बता दें कि संसद के बजट सत्र के दौरान केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने 23 जुलाई को सदन को बताया था कि केंद्र के हस्तक्षेप के कारण गन्ने का बकाया 15,222 करोड़ रुपये पर आ गया.
पासवान ने सदन को बताया कि पेराई सत्र 2017-2018 में गन्ने का बकाया 285 करोड़ रुपये तक बाकी है. 2017-18 और 2018-19 के सीजन के दौरान गन्ने का बकाया 85,179 करोड़ रुपये और 85,546 करोड़ रुपये था.
शुगर मिलों की मदद के लिए आगे आई सरकार
उन्होंने सदन को बताया कि चीनी मिलों की सहायता करने के लिए केंद्र ने बैंकों के माध्यम से सॉफ्ट लोन योजना को मंजूरी दी थी. देश में चीनी मिलों से चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य में वृद्धि करने की मांग की गई, जिस पर विचार करते हुए सरकार ने इसे 29 रुपये से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया.
गन्ना नियंत्रण अधिनियम 1966 के अनुसार, गन्ना का भुगतान 14 दिनों के भीतर अनिवार्य हैं, और उस पर 15 प्रतिशत ब्याज देने का आदेश देता है, यदि वे समय पर पालन करने में विफल रहते हैं.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के प्रबंध निदेशक अबिनाश वर्मा ने बताया कि 2018-19 की सीजन में चीनी मिलों ने किसानों से 85,546 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा था. उसमें से करीब 30,000 करोड़ का भुगतान बकाया रह गया था.
उन्होंने बताया कि अब शुगर मिल गन्ना नहीं खरीद रही हैं, बल्कि बाजार में चीनी बेच रही हैं.
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किसानों का भुगतान बकाया रहने के कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि इस बार मिलों पर रिकॉर्ड स्टॉक था. कह सकते हैं कि चीनी मिलों के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा स्टॉक था. जैसे-जैसे यह स्टॉक कम होता रहेगा, किसानों का भुगतान हो रहेगा.
अबिनाश वर्मा ने बताया कि चीनी मिलों की कंडीशन सुधारने के लिए भारत सरकार ने भी कई बड़े कदम उठाए हैं. सरकार द्वारा शुगर मिलों को दिए गए इंसेंटिव से भी मिलों को काफी राहत मिली है. चीनी के एमएसपी में इजाफा किया गया है. एमएसपी 29 रुपये से बढ़ाकर 31 रुपये कर दिया गया है. सरकार ने सस्ते ब्याज के साथ चीनी मिलों को सॉफ्ट लोन दिया है.
अबिनाश वर्मा ने बताया कि शुगर मिलों पर अभी जो बकाया है उसका अगले 3-4 महीनों में भुगतान कर दिया जाएगा. चीनी की कीमतों के सवाल पर उन्होंने बताया कि देश में चीनी का बफर स्टॉक है और सरकार ने एमएसपी 31 रुपये किलो तय किया हुआ है. इसलिए चीनी की कीमतें बढ़ने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती है. त्योहारी सीजन में भी चीनी के दाम यही रहेंगे.