Vande Bharat Express: वंदे भारत एक्सप्रेस से हम सब वाकिफ हैं. इसे सेमी बुलेट ट्रेन कहा जाता है. इसकी रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक है. स्वदेशी निर्मित वंदे भारत एक्सप्रेस को ट्रेन 18 यानी T-18 के नाम से भी जाना जाता है. इसे रेलवे के चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में तैयार किया गया है. फरवरी 2019 से यह सेवा में है और चार रूट पर इसका संचालन किया जा रहा है. आज हम उस शख्स के बारे में जानेंगे जिन्होंने नौकरी के आखिरी समय में एक बड़ा फैसला लिया और देश को ट्रेन-18 का तोहफा दिया. इस शख्स का नाम है सुधांशु मनी साहब. इन्हें वंदे भारत ट्रेन का जनक कहा जाता है. 

2016 में ICF, चेन्नई पोस्टिंग

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वंदे भारत ट्रेन का निर्माण चेन्नई के ICF में किया गया. सुधांशु मनी साहब के नेतृत्व में इस टीम ने आधे समय में ट्रेन की डिजाइन, इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस रोल-आउट का काम पूरा किया. सुधांशु मनी साहब को 2016 में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई का जनरल मैनेजर नियुक्त किया गया था.  केवल 18 महीने के भीतर महज 100 करोड़ की लागत से टी-18 का निर्माण किया गया. सबसे खास बात ये है कि इस ट्रेन की टेक्नोलॉजी भी स्वदेशी है. किसी बाहर की कंपनी से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी नहीं किया गया है.

पहले ट्रेन का आयात करने वाला था इंडियन रेलवे

अपने अनुभव को लेकर उन्होंने 'My Train 18 Story' किताब भी लिखी है. इस किताब में उन्होंने कहा है कि हमारी टीम ने शानदार काम किया है. इंडियन रेलवे पहले इस ट्रेन का आयात करने वाला था. इंपोर्ट के मुकाबले हमने एक तिहाई कीमत में इस ट्रेन का अपने देश में स्वदेशी टेक्नोलॉजी से निर्माण किया है. लंबे समय से इंडियन रेलवे को मॉडर्न ट्रेनों की जरूरत थी और इंपोर्ट पर विचार किया जा रहा था. 

ICF चेन्नई के जनरल मैनेजर थे सुधांशु मनी साहब

सुधांशु मनी साहब कहते हैं कि मेरी आखिरी पोस्टिंग ICF चेन्नई में हुई थी. यही से मैं रिटायर  भी हुआ. 35 सालों तक मैंने रेलवे में काम किया और इस दौरान मेरी एक ख्वाहिश थी कि हम एक ऐसे ट्रेन का निर्माण करें जो हाई स्पीड वाला हो, साथ ही यह देखने में भी खूबसूरत हो. इसका इंटीरियर गजब का होना चाहिए जो यात्रियों को बेहतर यात्रा का अनुभव दे सके. ट्रेन 18 इसी का नतीजा है.

400 वंदे भारत ट्रेन चलाने की है योजना

बजट 2022 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार की योजना अगले तीन सालों में  400 वंदे भारत ट्रेन के संचालन की है. इंडियन रेलवे को अपना भविष्य इसी ट्रेन में दिखता है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रैवल टाइम को 25-35 फीसदी तक कम कर देता है. इसके अलावा यह एनर्जी एफिशिएंट भी है. ऐसे में अगर रेलवे को पैसेंजर रेवेन्यू बढ़ाना है तो उसे अपने नेटवर्क में ट्रेन-18 की संख्या बढ़ानी ही होगी. इस ट्रेन के अब तक के परफॉर्मेंस और सुविधा से पैसेंजर भी काफी खुश हैं.