जूट के नकली बीज कारोबार पर लगेगी लगाम, किसानों को बीज बांटेगा पटसन निगम
जूट, पटसन (Patsan) और इसी प्रकार के पौधे का रेशा होता है. इस रेशे से बोरा, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सी, कपड़ा और कागज बनाने का काम आता है.
बाजार में जूट का बीज 60 से 130 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है. (Image-JCI)
बाजार में जूट का बीज 60 से 130 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है. (Image-JCI)
जूट (Jute) के नकली बीजों के कारोबार पर नकेल कसने और किसानों को उन्नत किस्म के बीच मुहैया करवाने के मकसद से भारतीय पटसन निगम (Indian Jute corporation- JCI) ने राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) के साथ करार किया है.
केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी (Smriti Zubin Irani) और केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की मौजूदगी में दोनों संगठनों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.
इस समझौते के बाद फसल सीजन 2021-22 के लिए जेसीआई 10,000 क्विंटल जूट के जेआरओ-204 किस्म के प्रमाणित बीज किसानों के बीज बांटेगा. इससे पहले बिक्री के लिए जेसीआई द्वारा राष्ट्रीय बीज निगम से प्रमाणित बीज खरीदे जाएंगे.
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मंत्रालय ने बताया कि इससे 5-6 लाख किसान परिवारों को फायदा होगा. नकली बीज के बाजार में भारी कमी आएगी और भारतीय पटसन निगम के राजस्व में इजाफा होगा.
अच्छी क्वालिटी का बीज होगा तो जूट की पैदावार में इजाफा होगा. और जब पैदावार अच्छी होगी तो निश्चित ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
स्मृति ईरानी ने कहा कि इस साल फरवरी में घोषित राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन में जूट और जूट वस्त्र उत्पादों के लिए एक विशेष प्रावधान है. उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार के लिए जूट की जरूरच की पूर्ति करने के साथ-साथ इसके उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा देना है.
Presided over MOU Signing between Jute Corporation of India (JCI) & National Seeds Corporation (NSC) for procurement of Certified Jute Seeds. I thank @nstomar ji for giving his valuable time & supporting @TexMinIndia’s efforts towards enhancing production of high quality jute. pic.twitter.com/q99NYRxcUv
— Smriti Z Irani (@smritiirani) August 19, 2020
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तय समय सीमा के भीतर जूट निर्यात क्षमता के निर्माण के लिए एक रोड मैप तैयार करने पर भी जोर दिया.
जूट
जूट, पटसन (Patsan) और इसी प्रकार के पौधे का रेशा होता है. इस रेशे से बोरा, दरी, तम्बू, तिरपाल, टाट, रस्सी, कपड़ा और कागज बनाने का काम आता है. दुनिया में सबसे ज्यादा जूट भारत में ही पैदा होता है. उसके बाद बांग्लादेश और फिर चीन का नंबर आता है. भारत में विश्व के कुल 60 फीसदी जूट का उत्पादन किया जाता है. देशभर में लगभग 40 लाख किसान आजीविका के लिए जूट पर निर्भर हैं.
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जूट की कैप्सुलैरिस और ओलिटोरियस अच्छी किस्में मानी जाती हैं. कैप्सुलैरिस की पैदावार प्रति एकड़ 10-15 मन और ओलिटोरियस की 15-20 मन प्रति एकड़ होती है.
जूट की सरकारी खरीद होती है. और यहां चार किस्म के जूट का उत्पादन होता है. इस साल जूट का एमएसपी (अलग-अलग किस्म के आधार पर) 2775 रुपये से लेकर 4850 रुपये प्रति क्विंटल है. बाजार में जूट का बीज 60 से 130 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है.
08:54 PM IST