SBI advice: कोरोनावायरस (Coronavirus) का असर देश की इकोनॉमी (Economy) पर पड़ना तय है और इसका असर राज्य सरकारों के बजट पर भी पड़ना तय है. नए वित्तीय वर्ष को लेकर एसबीआई का कहना है कि केंद्र सरकार (Central Government) को राज्यों को एक बड़े COVID-19 पैकेज के हिस्से के रूप में क्षतिपूर्ति करनी चाहिए. सभी राज्यों ने फरवरी में अपने बजट पेश कर दिया है, लेकिन आने वाले समय में राज्य सरकारों को अपने बजट में काफी बदलाव करने की जरूरत होगी. 

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भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने इस तरह की रिपोर्ट जारी की है. एसबीआई ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष की इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार को वित्तीय वर्ष (FY21) के लिए इस तरह की सलाह दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकारों को टैक्स कलेक्शन में कमी आएगी और आने वाले दिनों में खासकर स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे सामाजिक क्षेत्रों में अधिक खर्च करने पड़ सकते हैं. इसे आने वाले वर्ष में राज्यों का राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत से ऊपर चला जाएगा.

एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में 19 राज्यों के आंकड़े का विश्लेषण किया है जिनका राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2020 के लिए कुल मिलाकर 2.56 प्रतिशत होगा जो राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) के 3 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है. हालांकि यह 2.06 प्रतिशत के बजट अनुमान से अधिक है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कम राजस्व, केंद्र से मिले राजस्व के हिस्से में 1.26 लाख करोड़ रुपये की कमी का असर राजकोषीय घाटा को प्रभावित करेगा. वित वर्ष 2020 के लिए बजट अनुमान 7.12 लाख करोड़ रुपये था. जबकि इन राज्यों को सिर्फ 5.86 लाख करोड़ रुपये ही मिले हैं. वित्तीय वर्ष 2019 पर नजर डालें तो इन राज्यों में टैक्स कलेक्शन सिर्फ 1.6 प्रतिशत ही बढ़ा है. 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान 2.04 प्रतिशत है जिसे अब कोरोनावायरस के कहर के बाद बढ़ते खर्च को देखते हुए हासिल करना आसान नहीं होगा.