एक डेमोक्रेटिक कंट्री में एलेक्शंस (Elections) बहुत मायने रखते हैं, फिर चाहे वो जनरल एलेक्शंस (General Elections) हो या स्टेट एलेक्शंस. डेमोक्रेसी (Democracy) में हर एक वोटर का वोट बहुत कीमती होता है. लेकिन भारत जैसे देश में पढ़ाई और नौकरी के लिए कई लोग अपना शहर छोड़ कर दूसरे शहर में रहने चले जाते हैं. जिससे की जब उनके राज्य में इलेक्शन होता है तब वो वोट नहीं दे पाते है और इलेक्शन जैसे इम्पोर्टेन्ट प्रोसेस में हिस्सा नहीं ले पाते. इससे वोटिंग परसेंटेज (Voting Percentage) पर भी काफी असर पड़ता है. इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए इलेक्शन कमीशन (Election Commission of India) ने कुछ दिनों पहले बताया था कि उन्होंने डोमेस्टिक मीग्रेंट्स (Domestic Migrants) के लिए रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Remote Electronic Voting Machine) (RVM) का प्रोटोटाइप (Prototype) डेवेलप किया है.

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आज यानी 16 दिसंबर 2023 (16 Decemebr 2023) को इलक्शन कमिस्शन ने पोलिटिकल पार्टीज (Political Parties) को इसके डेमो (Demo) के लिए इन्वाइट किया है. साथ ही पोलिटिकल पार्टीज को इसके लिए फीडबैक देने के लिए भी कहा गया है. आइए जानते है कि आखिर ये RVM है क्या?

क्या है ये RVM?

एक्चुअली, RVM, EVM (Electronic Voting Machine) का मॉडिफाइड वर्जन है. RVM की मदद से डोमेस्टिक मीग्रेंट्स को वोट देने में आसानी हो जाएगी. एक्साम्प्ल से समझे तो अगर आप उत्तर प्रदेश के रहने वाले है और नौकरी या पढ़ाई के लिए दिल्ली में रहते है. तो जब उत्तर प्रदेश में एलेक्शंस होंगे तब आप दिल्ली में रहकर भी उत्तर प्रदेश के एलेक्शंस में वोट कर पाएंगे. इस वजह से ही इस डिवाइस का नाम रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन रखा गया है. RVM को बनाने का काम एक पब्लिक सेक्टर कंपनी (Public Sector Company) को दिया जाएगा. RVM 72 कोंस्टीटूएंसी (Constituencies) को एक पोलिंग स्टेशन (Polling Stations ) से कंट्रोल करेगा. RVM भी EVM की तरह ही है. यह इंटरनेट (Internet) से जुड़ा नहीं होगा. RVM को सेट करने के लिए लैपटॉप का इस्तेमाल किया जाएगा जो की इंटरनेट से कनेक्टेड न हो. 

क्यों ज़रूरत पड़ी RVM की?

इलेक्शन कमीशन के डेटा के अनुसार, पिछले तीन जनरल एलेक्शंस में सिर्फ एक तिहाई वोटरों ने ही वोट डाला था. 2019 के जनरल इलेक्शन में 91 करोड़ वोटर्स में से सिर्फ 67.4 % वोटर्स ने ही वोट किया था. वहीं ये परसेंटेज 2014 में 66.4 % थी और 2009 में 58.2 % थी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें की इलेक्शन कमिस्शन के रूल्स के अनुसार, वोटर चाहें तो जिस राज्य में रहते उस राज्य का वोटर आईडी कार्ड बनवा सकते हैं. लेकिन ज्यादातर लोग ऐसा नहीं करते हैं. इस वजह से वोटिंग परसेंटेज पर काफी फर्क पड़ता हैं.

 

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