राजस्थान और गुजरात में इस बार मूंगफली की अच्छी पैदावार हुई है. मंडियों में मूंगफली की आवक बढ़ गई है. आलम ये है कि मंडियों में मूंगफली के ढेर लग गए हैं, लेकिन खरीददार नहीं हैं. किसानों को कम दामों पर अपनी फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. राजस्थान में मूंगफली की खरीद के लिए सहकारिता विभाग की राजफैड को नोडल एजेंसी बनाया गया है, लेकिन राजफैड भी लक्ष्य के मुताबिक खरीद नहीं कर पा रहा है. सरकार ने मूंगफली का समर्थन मूल्य 4450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन किसान 3-3.5 हजार रुपये क्विंटल में अपनी फसल बेच रहा है. 

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अगर जोधपुर की बात करें तो यहां 3.00 लाख मैट्रिक टन मूंगफली का उत्पादन हुआ है और सरकारी खरीद के लिए 13 सेंटर बनाए हैं. राजफैड के केंद्रों पर अपनी फसल की बिक्री के लिए जिले के 13 हजार, 860 किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था. कई खरीद केंद्रों पर तो बारदाना नहीं होने से खरीद नहीं हो पा रही है. 

मंडियों में लगे मूंगफली के ढेर

बीकानेर की मंडियों का हाल और बुरा है. यहां चारों और मूंगफली के ढेर लगे हुए हैं. इसके अलावा यहां किसानों का अपनी फसल के लेकर आना लगातार बना हुआ है. बीकानेर अनाज मंडी में प्रतिदिन करीब 80 हजार बोरी मूंगफली की आवक हो रही है.

अच्छी आवक होने से अन्य प्रदेशों के व्यापारी यहां डेरा डाले हुए हैं, लेकिन ज्यादा फसल आने का असर मूंगफली की कीमतों पर पड़ रहा है. किसानों अपनी फसल को एमएसपी से 1000 रुपये तक कम में बेचने को मजबूर हैं. हालांकि बीकानेर में मंगूफली के दाम 3,500 से 42 सौ रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं. लेकिन 4,200 के रेट बहुत कम किसानों को मिल रहे हैं. 

बीकानेर की नोखा मंडी में खरीद केंद्र पर बारदाने की कमी के कारण मूंगफली की खरीद का काम प्रभावित हो रहा है. 

राजस्थान के बाद गुजरात का रुख करें तो यहां के किसान भी समर्थन मूल्य नहीं मिलने से परेशान हैं. गुजरात सरकार ने 110 रुपए के बोनस सहित 5000 रुपए क्विंटल का भाव तय किया है. लेकिन खरीद केंद्रों पर खरीद की गति बहुत मंदी होने के कारण किसानों को अपनी मूंगफली की फसल मंडी में व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है. जो कि किसनों की फसल को 35 सौ से 4,000 रुपये तक में खरीद रहे हैं.