Raksha Bandhan 2023: वोकल फॉर लोकल का बड़ा असर, भारतीय राखी से चीन को सताने लगा डर, लगा जोर का झटका
बीते कुछ सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्योहारों पर ‘वोकल फॉर लोकल’ से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश रहती है जिसका असर भारतीय बाजारों पर देखने को मिलता है.
उत्तर भारत के थोक बाजारों में इस बार राखी के त्योहार पर चीन की बनी राखियां देखने को नहीं मिली है, बाजारों में बस भारतीय राखियों की भरमार है. यही कारण है जिससे दुकानदारों में खास उत्साह देखने को मिल रहा है और अच्छा कारोबार होने की भी उम्मीद नज़र आ रही है.
चीनी राखियों की मांग में आई गिरावट
उत्तर भारत के सबसे बड़े थोक बाजार - सदर बाजार में भारतीय राखी की मांग चीनी राखी के मुकाबले कई ज्यादा देखने को मिली है. दुकानदारों का कहना है कि ग्राहकों को चीनी राखियों की मांग नहीं है वो भारतीय राखियों की ज्यादा डिमांड करते हैं और यही कारण है दुकानदार चीनी नहीं रखते. दुकानदारों का चीनी राखियों की मांग में गिरावट को लेके ये कहना है की गिरावट के पीछे उनकी महंगी कीमत और खराब क्वालिटी है. बाजारों में भारतीय राखी की कीमत तीन रुपए से लेकर 200 रुपए तक होती है, वहीं चीनी राखी की शुरुआती कीमत 50 रुपए है.
बाजार में 80% भारतीय राखी हैं मौजूद
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
Adani Group को एक ही दिन में दूसरा झटका! NSE ने ग्रुप कंपनियों से मांगी सफाई, ₹2.45 लाख करोड़ का मार्केट कैप स्वाहा
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
दिल्ली ट्रेड फेडरेशन के अध्यक्ष देवराज बवेजा ने बताया कि बाजार में भारतीय राखियां 80 फीसदी मिल रहीं हैं वहीं चीनी राखी का आंकड़ा 20 फीसदी है, और ये आंकड़ा कच्चे माल के तौर पर है. उनका यह यह भी कहना था कि चीनी राखियों की मांग बीते तीन चार सालों में कम हुई है.
10 हजार करोड़ के कारोबार होने की उम्मीद
व्यापारियों के राष्ट्रीय संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) के अध्यक्ष ने ये दावा किया है की इस बार दिल्ली सहित पूरे देश में 10 हजार करोड़ रुपए के कारोबार होने की उम्मीद है. वहीं पिछले साल 7 हजार करोड़ का व्यापार हुआ था. हालांकि दुकानदारों का ये कहना है कि उत्तर भारत के कई इलाकों में बारिश और बाढ़ के कारण राखियों की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले कमी देखने को मिली है. साथ ही पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड में भी बारिश की वजह से व्यापार में कमी आई है.
बाजार में ये राखियां है उपलब्ध
बाजार में इस बार धागे वाली राखी, रेशम की राखी, कलावा वाली रखी, रुद्राक्ष की राखी और मोरपंखी राखियां मौजूद है. इसके अलावा भैया-भाभी की ‘लुम्बे’ वाली राखियों भी बाजार से ले सकते हैं. बच्चों के लिए कार्टून वाली राखी भी मार्केट में मिल रहीं हैं.
07:13 PM IST