Rajasthan New CM Bhajan Lal Sharma: छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान तीनों जगह मुख्‍यमंत्री के नाम की घोषणा हो चुकी है. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तर्ज पर भाजपा ने राजस्थान में भी चौंकाते हुए नए नवेले विधायक भजन लाल को राजस्‍थान का मुख्‍यमंत्री घोषित कर दिया. दूर-दूर तक किसी को इस नाम का कोई अंदाजा नहीं था. ऐसे में तमाम लोगों के मन में ये सवाल है कि राजस्‍थान में वसुंधरा राजे के विकल्‍प के तौर पर और भी तमाम ऐसे चेहरे थे, जिन्‍हें मुख्‍यमंत्री बनाया जा सकता था, तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्‍व ने भजन लाल का ही चुनाव क्‍यों किया? आइए 4 पॉइंट्स में समझाते हैं आपको-

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1. यहां बेशक बात राजस्‍थान के सीएम भजन लाल शर्मा की हो रही है, लेकिन भाजपा के इस सियासी दांव को समझने के लिए आपको छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश और राजस्‍थान तीनों राज्‍यों पर ध्‍यान देना होगा. इन तीनों राज्‍यों में अलग-अलग जाति के सीएम का चुनाव करके बीजेपी ने जातिगत समीकरण साधने का पूरा प्रयास किया है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी और एमपी में ओबासी को सीएम बनाने के बाद ब्राह्मण चेहरे को सीएम बनाकर एक सर्किल को पूरा करने का प्रयास किया गया है.

2. ब्राह्मण हमेशा से भाजपा का वोट बैंक रहा है, लेकिन 1990 के बाद राजस्‍थान में अब तक कोई ब्राह्मण सीएम नहीं बन सका. हरिदेव जोशी आखिरी ऐसे सीएम थे, जो ब्राह्मण थे. दूसरे राज्‍यों की बात करें तो यूपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में ब्राह्मण चेहरे डिप्टी सीएम तो बने लेकिन सीएम नहीं. ऐसे में राजस्‍थान में ब्राह्मण चेहरे को सीएम पद देकर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए ब्राह्मण समाज को साधने का प्रयास किया है और उन्‍हें ये संदेश दे दिया है कि ब्राह्मणों को सिर्फ डिप्‍टी सीएम के पद से ही संतोष नहीं करना होगा. अगर उत्‍तर भारत में ब्राह्मणों की आबादी की बात की जाए तो राजस्थान में 8 फीसदी ब्राह्मण हैं, यूपी में 10 से 12 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 18 फीसदी, मध्य प्रदेश में 6 प्रतिशत, बिहार में चार फीसदी ब्राह्मण बताए जाते हैं.

3. राजस्‍थान में भजन लाल शर्मा का चुनाव करने का एक कारण ये भी है कि अगर यहां किसी राजपूत को सीएम पद के लिए चुना जाता तो राजस्‍थान में जाट नाराज हो सकता था. ब्राह्मण राजस्थान में निर्विवाद हैं. वहीं भजनलाल शर्मा पार्टी किसी भी गुट में शामिल नहीं हैं. लिहाजा उनके नाम पर किसी की भी आपत्ति की गुंजाइश नहीं थी. इसके अलावा पार्टी ने एक साधारण कार्यकर्ता की सीएम पद पर ताजपोशी कर सभी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम किया है. 

4. अब तक राजस्‍थान के सीएम के तौर पर जो भी नाम सामने आए हैं, उन सभी का किसी न किसी रूप में वसुंधरा राजे से जुड़ाव सामने आता रहा. पार्टी को ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो कुछ नया सोच सके. भजनलाल शर्मा की छवि निर्विवाद पदाधिकारी की है कि जो हमेशा हर परिस्थित में पार्टी के लिए मोर्च पर डटा रहा है. इसके अलावा भजन लाल शर्मा छात्र जीवन से ही एबीवीपी से जुड़े रहे हैं और उसके बाद आरएसएस में सक्रिय रहे हैं. फिर पार्टी में भी पद पर रहे हैं. ऐसे भजन लाल शर्मा पार्टी और संघ की पसंद बने.