Pranab Mukherjee Birthday: पत्रकार के रूप में शुरू किया था करियर, 13 से प्रणब का था अलग ही कनेक्शन, जानें कैसे
Pranab Mukherjee Birthday: प्रणब दा के जीवन में 13 का अलग ही रोल रहा है. वे भारत के 13वें राष्ट्रीय बने थे. दिल्ली में उनके पास जो बंगला था उसका नंबर 13 था. प्रणब मुखर्जी की शादी की सालगिरह भी 13 तारीख को होती है. 13 अंक उनके जीवन में बहुत महत्व रखता था.
Pranab Mukherjee Birthday: पत्रकार के रूप में शुरू किया था करियर, 13 से प्रणब का था अलग ही कनेक्शन, जानें कैसे
Pranab Mukherjee Birthday: पत्रकार के रूप में शुरू किया था करियर, 13 से प्रणब का था अलग ही कनेक्शन, जानें कैसे
Pranab Mukherjee Birthday: देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म आज ही के दिन हुआ था. 11 दिसंबर, 1935 को प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था. प्रणब दा... इसी नाम से पूरा देश उन्हें पुकारता था, वो भारत रत्न हैं, उन्होंने 13वें राष्ट्रपति के तौर पर देश को न सिर्फ संभाला बल्कि विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय का भी नेतृत्व किया. प्रणब मुखर्जी का भारत की राजनीति में अहम योगदान रहा है. 15 जून 2012 को वो देश के राष्ट्रपति बने थे और देश के राष्ट्रपति रहते उन्होंने देश की समस्याओं को सुलझाने में अहम योगदान दिया है. आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें...
2020 में हुआ था निधन
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन अगस्त 2020 में हो गया था. वो काफी दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे. दिल्ली में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. प्रणब मुखर्जी देश के ऐसे नेताओं में शामिल थे, जिन्हें हर पार्टी की तरफ से पूरा सम्मान मिला था. उनके तमाम दलों के साथ हमेशा से संबंध अच्छे रहे. इसीलिए आज भी उन्हें हर कोई सम्मान के साथ याद करता है.
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बीरभूम में हुआ था प्रणब दा का जन्म
11 दिसंबर 1935 को बंगाल के बीरभूम इलाके के मिराटी में जन्मे प्रणब मुखर्जी के बचपन का नाम पोल्टू था. उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था. कामदा किंकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा थे और 12 साल (1952-1964) तक कांग्रेस की ओर से पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य रहने के साथ-साथ AICC के मेंबर भी थे. ब्रिटिश राज की खिलाफत करने के लिए उनको 10 साल जेल भी काटनी पड़ी.
पढ़ाई में काफी तेज थे प्रणव दा
बचपन से ही प्रणब मुखर्जी पढ़ने-लिखने में बहुत तेज थे. उनकी याददाश्त काफी तेज थी. बड़े होने पर प्रणब मुखर्जी ने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज (कलकत्ता यूनिवर्सिटी) में दाखिला लिया. उन्होंने राजनीति विज्ञान और इतिहास में एमए की डिग्री ली और कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ही एलएलबी की पढ़ाई की. राजनीति में आने से पहले वह डिप्टी अकाउंटेंट-जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में अपर डिवीजन क्लर्क थे. साल 1963 में वह विद्यानगर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर बन गए. बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और बांग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक (मातृभूमि की पुकार) में काम किया.
1969 में हुई राजनीति में एंट्री
1969 का साल प्रणब मुखर्जी के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. उनकी काबिलियत देखकर इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा भेजा और वह इंदिरा गांधी के सबसे खास सिपहसालारों में से एक हो गए. इंदिरा ने 1973 में उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल किया. वह औद्योगिक विकास विभाग के उप मंत्री थे. पार्टी में मुखर्जी का कद बढ़ रहा था. एक वक्त ऐसा आया जब इंदिरा सरकार में वह नंबर दो हो गए थे. उनके बौद्धिक स्तर और काबिलियत को देखते हुए इंदिरा गांधी ने यह लिखित आदेश तक जारी करवा दिया था कि उनकी गैरमौजूदगी में कैबिनेट मीटिंग की अगुआई प्रणब मुखर्जी करेंगे.
1982 में बनें वित्त मंत्री
1982 से 1984 तक उन्होंने कई कैबिनेट पद संभाले. 1982 में भारत के वित्त मंत्री बने. मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर के लोन के लिए बातचीत की और लोन के एक तिहाई हिस्से को बिना इस्तेमाल किए लौटा दिया. पूरी दुनिया तब भारत के इस कदम से हैरान रह गई थी. उनके वित्तीय प्रबंधन की तारीफ अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के वित्त मंत्री डोनाल्ड रीगन ने भी की थी. दिलचस्प बात है कि जिस वक्त प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे, उन्होंने ही पूर्व रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर पीएम मनमोहन सिंह की नियुक्ति की थी. इस तरह से मुखर्जी मनमोहन सिंह के सीनियर थे.
पाइप जमा करने के शौकीन थे प्रणब दा
प्रणब दा वर्षों पहले ही स्मोकिंग छोड़ चुके थे. लेकिन फिर भी वह पाइप को मुंह से लगाए रखते थे. उनको पाइप जमा करने का भी शौक था. होठों से वो पाइप की टिप को दबाए रखते थे, जिससे उन्हें पीने का अहसास होता था. लेकिन अंदर तंबाकू बिल्कुल नहीं होती थी. उनको कांग्रेस नेताओं, मंत्रियों और विदेशी मेहमानों से तोहफे में 500 पाइप मिले थे. ये उनका कलेक्शन था, जिसे बाद में उन्होंने राष्ट्रपति भवन के म्यूजियम को दे दिया था.
13 से प्रणब का था अलग कनेक्शन
प्रणब दा के जीवन में 13 का अलग ही रोल रहा है. वे भारत के 13वें राष्ट्रीय बने थे. दिल्ली में उनके पास जो बंगला था उसका नंबर 13 था. यही नहीं प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee Marriage) की शादी की सालगिरह भी 13 तारीख को होती है. 13 अंक उनके जीवन में बहुत महत्व रखता था.
प्रणब दा के जीवन के अनछुए पहलू
- प्रणब मुखर्जी हिंदी भाषा ठीक से नहीं जानते थे. उनको इसका मलाल भी रहा. उनके मुताबिक प्रधानमंत्री नहीं बन पाने की यह बड़ी वजह रही.
- 1984 में यूरोजोन पत्रिका ने उनको दुनिया का सबसे बेहतरीन वित्त मंत्री बताया था. उन्होंने सात बजट पेश किए.
- वह पिछले 40 सालों से नियमित रूप से डायरी लिख रहे थे. इसमें उन्होंने अपने अनुभवों को लिखा है लेकिन मृत्यु के बाद ही इसके प्रकाशन की शर्त रखी थी.
- उनको पुस्तकें पढ़ने का जबर्दस्त शौक था. वह एक के बाद एक तीन पुस्तकें एक साथ पढ़ सकते थे. इतिहास में गहरी रुचि थी.
- उनको सुबह घूमने का शौक था. वह अपने 90 मीटर लॉन के 40 चक्कर लगाते थे जो करीब साढ़े तीन किमी था.
- वह औसतन एक दिन में 18 घंटे काम करते थे. चीनी नेता डेंग जियाओपिंग से प्रेरित रहे. वह कभी छुट्टियां नहीं मनाते.
- उन्हें क्रिकेट से ज्यादा फुटबॉल पसंद था. उन्होंने मुर्शिदाबाद में अपने पिता के नाम पर कामदा किंकर गोल्ड कप टूर्नामेंट मुर्शिदाबाद जिले में शुरू किया था.
- हर साल विभिन्न दलों के नेताओं को लीची और आम भेजते थे.
- वह मां दुर्गा के भक्त थे और दुर्गा पूजा में तीन दिन व्रत रखते थे.
कौन-कौन से मंत्रालय संभाले
- 2004-06 तक मुखर्जी रक्षा मंत्री रहे.
- 2006-2009 तक विदेश मंत्रालय संभाला.
- 2009-12 तक वित्त मंत्रालय का कामकाज देखा
- इनके साथ-साथ नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग समेत कई अहम मंत्रालयों का प्रभार भी उनके जिम्मे आया.
10:50 AM IST