हाल के वर्षों में विदेश से कितना कालाधन भारत लाया गया इसकी जानकारी देने से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इनकार कर दिया है. देश में कालाधन हाल के वर्षों में एक बड़ा मुद्दा रहा है. पीएमओ से सूचना का अधिकार (RTI) के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी. पीएमओ ने जवाब न देने के पीछे तर्क दिया कि इससे जांच के काम पर असर पड़ेगा. यह जवाब 16 अक्टूबर के केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश के बाद आया है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय से यह कहा गया था कि वह 15 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी का जवाब दे.

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1 जून 2014 से अबतक की जानकारी मांगी थी

आरटीआई में पूछे गए इस सवाल के जवाब में पीएमओ ने कहा कि कालेधन के मामले में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया गया है जांच अभी चल रही है. आरटीआई व्हीसलब्लोअर नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी ने दाखिल किया था. चतुर्वेदी ने बताया कि पीएमओ ने कहा कि सरकार की तरफ से अगर इस तरह की जानकारी सार्वजनिक की जाती है तो इसका जांच की पूरी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है. भारतीय वन सेवा के अधिकारी चतुर्वेदी ने आरटीआई में 1 जून 2014 से लेकर अबतक की जानकारी मांगी थी.

एक साल से था जवाब का इंतजार

व्हीसलब्लोअर नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी इसके जवाब में एक साल से इंतजार में थे. पिछले साल अक्टूबर में पीएमओ ने अपने जवाब में हवाला दिया कि पूछी गई जानकारी को अभी पारदर्शिता कानून की धारा 2(एफ) के तहत कवर नहीं किया गया है. इस पर चतुर्वेदी केंद्रीय सूचना आयोग पहुंच गए जिसने पिछले महीने पीएमओ को अगले 15 दिनों में जवाब देने को कहा. 

कालाधन कितना, इसकी जानकारी नहीं 

भारत में या भारत से बाहर कितना कालाधन है, इसका अभी तक किसी के पास आधिकारिक आकलन नहीं है. अमेरिका के एक थिंक टैंक ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी (GFI) के एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2005-2014 के बीच 770 अरब डॉलर का कालाधन भारत आया. इसी तरह करीब 165 अरब डॉलर कालाधन समान अवधि में भारत से बाहर गया. इस आरटीआई में पीएमओ ने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की संख्या की जानकारी देने से भी इनकार कर दिया.

(इनपुट एजेंसी से)