PMGKAY: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दिसंबर के बाद भी गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराने वाली PMGKAY योजना का विस्तार करने पर विचार करेंगे. केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे (Shobha Karandlaje) ने गुरुवार को संसद में बताया कि सरकार के पास पर्याप्त अन्न भंडार है. उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का आगे विस्तार किया जाना है, तो यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा लिया जाएगा. शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक होने वाली है. सितंबर में सरकार ने PMGKAY की समय सीमा को तीन महीने के यानी 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया था. 

PMGKAY पर खर्च हुए इतने करोड़

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कृषि राज्यमंत्री करंदलाजे ने संवाददाताओं से कहा, ''कोविड-19 के मामले आ रहे हैं. यह योजना दिसंबर तक के लिए है. इसे आगे बढ़ाने के बारे में फैसला प्रधानमंत्री लेंगे.'' उन्होंने कहा कि पिछले 28 माह में सरकार ने PMGKAY योजना के तहत गरीबों को मुफ्त राशन वितरण पर 1.80 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

 

सरकार के पास है पर्याप्त अन्न भंडार

उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त खाद्यान्न भंडार है. मंत्री ने आगे कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और पीएमजीकेएवाई जैसी कल्याणकारी योजनाओं के लिए खाद्यान्न की खरीद को सुचारू रूप से चल रही है. 

सरकार के पास है इतना स्टॉक

यह धारणा सही नहीं है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में फसल पर सूखे और जलवायु परिवर्तन के कुछ प्रभाव के कारण चावल और गेहूं के उत्पादन में गिरावट आने के आसार है. पिछले सप्ताह खाद्य मंत्रालय ने कहा था कि एक जनवरी, 2023 तक लगभग 159 लाख टन गेहूं और 104 लाख टन चावल उपलब्ध होगा, जबकि एक जनवरी को बफर मानदंड के हिसाब से 138 लाख टन गेहूं और 76 लाख टन चावल के स्टॉक की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 15 दिसंबर तक केंद्रीय पूल में करीब 180 लाख टन गेहूं और 111 लाख टन चावल उपलब्ध था. 

कब शुरू हुई PMGKAY

पीएमजीकेएवाई की शुरुआत अप्रैल, 2020 में उन गरीबों की मदद के लिए की गई थी, जिनकी आजीविका का साधन कोरोवायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुआ था. इस योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को प्रति माह पांच किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जाता है. 

करंदलाजे ने PDS को आधुनिक तकनीक के साथ उन्नत बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी बताया ताकि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से सीधे किसानों से खरीदे गए अनाज के समर्थन मूल्य का भुगतान करने के साथ ही पीडीएस खाद्यान्न की बर्बादी और गड़बड़ियों को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के पहले अब नए सिरे से मोटे अनाज के उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जायेगा.