लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का स्मारक 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन करने के साथ ही इसके नाम दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति होने का खिताब दर्ज हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात की बीजेपी सरकार के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है. बीजेपी इस स्मारक को इस तरह प्रचारित कर रही है जैसे कांग्रेस ने हमेशा पटेल को नजरअंदाज किया और ये पहली बार है जब पटेल को उनके कद के बराबर कोई सम्मान दिया जा रहा है. लेकिन स्टैच्यू ऑफ युनिटी से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरदार सरोवर डैम को देखकर ये बात पूरी तरह सच नहीं लगती.

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अगर प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल के सम्मान में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाया, तो जवाहरलाल नेहरू ने भी उनकी स्मृति में उसी जगह पर सरदार सरोवर बांध की आधारशिला रखी. आइए सरदार पटेल को समर्पित इन दोनों स्मारकों की विशेषताओं पर एक नजर डालते हैं.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया का सबसे ऊंचा स्मारक है और अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के मुकाबले दोगुना ऊंचा है. जाहिर तौर पर ऐसे स्मारक से प्रत्येक देशवासी का मस्तक गर्व से ऊंचा होगा. विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच स्थिति 182 मीटर ऊंचे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की कुल लागत 2989 करोड़ रुपये है और इसे रिकॉर्ड चार साल में पुरा किया गया. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की आधिकारिक साइट पर यह जानकारी दी गई है. इस स्मारक का शिलान्यास और लोकार्पण, दोनों ही पीएम मोदी ने किया. शिलान्यास के समय वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

इस स्मारक को बनाने के लिए अत्याधुनिक टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. इसमें करीब 1850 मीट्रिक टन ब्रांन्ज और 22500 मीट्रिक टन सीमेंट और 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील लगी है. इसके साथ ही श्रेष्ठ भारत भवन, म्यूजियम और ऑडियो विजुअल गैलरी के साथ ही लेजर, लाइट एंड साउंड शो का इंतजाम भी है. सुशासन और कृषि विकास से संबंधित एक शोध केंद्र की स्थापना भी यहां की जा रही है. इस स्मारक से 15000 लोगों को सीधे तौर पर रोजगार मिलेगा. श्रेष्ठ भारत भवन में एक थ्री स्टार होटल, फूड सर्विस, अतिथियों के लिए सुविधाएं और कॉन्फ्रैंस की सुविधा उपलब्ध है.

सरदार सरोवर डैम

ये सही है कि कांग्रेस ने सरदार पटेल का इतना ऊंचा स्मारक नहीं बनवाया, लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने 5 अप्रैल 1961 सरदार सरोवर बांध की नींव रखी. ये बांध सरदार पटेल का सपना था, जिस पर नेहरू ने अमल किया. इस समय बांध की ऊंचाई 162 फीट और सिंचाई क्षेत्र 9.97 लाख हेक्टेयर था. बाद में ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव आया, लेकिन मध्य प्रदेश की सरकार ने विरोध कर दिया. इस तरह ये परियोजना मध्य प्रदेश, गुजरात और केंद्र सरकार के बीच फंस गई. समाधान के लिए इंदिरा गांधी ने नर्मदा जलविवाद ट्रिब्यूनल (एनडब्लूडीटी) के गठन की घोषणा कर दी. इस ट्रिब्यूनल ने 1979 में अपना निर्णय दिया, जो बांध के पक्ष में था. इसके साथ ही निर्मदा बचाओ आंदोलन शुरू हो गया, जिसका चेहरा बनकर उभरीं मेधा पाटेकर. जानीमानी लेखिका अरुंधति राय के इन आंदोलन से जुड़ने से पूरी दुनिया का ध्यान इस ओर गया और वर्ल्ड बैंक ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपनी फंडिंग रोक दी. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया, जहां से 1999 में बांध के पक्ष में फैसला दिया गया. 

ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है. दि वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक परियोजना पर कुल लागत 99000 करोड़ रुपये की लागत आई है. इसमें बड़ा योगदान केंद्र सरकार का है. गुजरात सरकार ने 2015 में बताया था कि इस परियोजना पर उनसे 47000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसमें से 5777 करोड़ रुपये सरदार सरोवर बांध पर खर्च हुए, शेष राशि नहर बनाने के लिए खर्च की गईं.

प्रोजेक्ट के फायदे

इसका नहर नेटवर्क दुनिया में सबसे लंबा है और इसमें नर्मदा मुख्य नहर, 2500 किलोमीटर ब्रांच नहरें और 5500 किलोमीटर की डिस्ट्रीब्यूशन नहरे शामिल हैं. बांध की जल भंडारण क्षमता 4,25,780 करोड़ लीटर है. सरकार का कहना है कि बांध की वजह से 10 लाख किसानों को फायदा होगा. गुजरात के 15 जिलों के 3137 गांव की 18.45 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की जा सकेगी. इसके अलावा महाराष्ट्र और राजस्थान के बड़े हिस्से को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा. प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ये बांध चार करोड़ लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान देगा. बांध से करीब 1500 मेगावाट बिजली पैदा होगी.

क्या है निष्कर्ष?

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जहां हमें गर्व से भर देता है, वहीं सरदार सरोवर बांध हमारी जरूरतों को पूरा करता है. ये सरदार पटेल का सपना था, जिसकी आधारशिला नेहरू ने रखी. आजादी के समय जब हमारे यहां माचिस की तीली भी नहीं मिलती थी और अनाज भी बाहर से आता था, ऐसे में समय में अपनी प्राथमिक जरूरतों पर जोर देना जरूरी था. जाहिर तौर पर समाज की पहली जरूरत स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी नहीं, सरदार सरोवर बांध थी. ये बांध भारत का सर्वाधिक विवादित बांध भी है. इसे कई अड़चनों का सामना करना पड़ा. गुजरात की भाजपा सरकार और खुद मुख्यमंत्री रहते हुए पीएम मोदी ने इस बांध के लिए अनशन किया. इस तरह सभी ने अपने समय की जरूरतों के हिसाब से काम किया. ये भी एक सुखद संयोग है कि जिस बांध का शिलान्यास नेहरू ने किया था, उसका लोकार्पण पीएम मोदी ने किया और यही हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती है.