16वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूस रवाना हुए पीएम नरेंद्र मोदी
PM Narendra Modi left for Russia to attend the 16th BRICS summit check details
16वें ब्रिक्स सम्मेलन (BRICS Summit) में भाग लेने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रूस के लिए रवाना हो गए हैं. बता दें कि कजान में 22 से 24 अक्टूबर तक 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रूस की अध्यक्षता में आयोजित किया जा रहा है. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी अन्य ब्रिक्स देशों के नेताओं और आमंत्रित मेहमानों से द्विपक्षीय मुलाकात भी करेंगे.
पीएम ने बताया ब्रिक्स का महत्व
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, 'आज मैं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आमंत्रण पर कजान की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहा हूं. यात्रा का उद्देश्य 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेना है. ब्रिक्स के महत्व पर बात करते हुए पीएम ने कहा कि भारत ब्रिक्स के साथ निकट सहयोग का महत्व समझता है. यह संगठन वैश्विक विकास, बहुपक्षवाद सुधार, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला मजबूती, सांस्कृतिक और जन-जन संपर्क आदि जैसे मुद्दों पर बातचीत का महत्वपूर्ण मंच बन गया है. पिछले साल नए सदस्य जोड़ने से ब्रिक्स और भी समावेशी और वैश्विक हितों के लिए काम करने वाला संगठन बन गया है.
वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का महत्वपूर्ण मंच है ब्रिक्स
पीएम मोदी ने आगे कहा कि जुलाई 2024 में मास्को में हुए वार्षिक शिखर सम्मेलन के आधार पर, कजान की मेरी यात्रा भारत और रूस के विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी. मुझे ब्रिक्स के अन्य नेताओं से मिलने का भी इंतजार है. वहीं, इस मौके पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि शिखर सम्मेलन का विषय न्यायपूर्ण वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना है. यह सम्मेलन नेताओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का महत्वपूर्ण मंच देगा.
साल 2024 में पीएम की दूसरी रूस यात्रा
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति की समीक्षा करने और भविष्य में सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने का अच्छा अवसर होगा. बता दें कि साल 2024 में पीएम मोदी की रूस में दूसरी यात्रा होगी. उन्होंने जुलाई में 22वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में भी मास्को की यात्रा की थी. रूस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से द्विपक्षीय बैठक की थी. उन्हें मास्को के क्रेमलिन में रूस के सबसे बड़े नागरिक सम्मान, 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल' से भी सम्मानित किया गया था.