प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुधवार को मथुरा में पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर कई बड़े ऐलान किए. देश में पशुधन को बढ़ाने और पशुधन से किसानों की आमदनी बढ़ाने के मकसद ने प्रधानमंत्री ने मथुरा में वेटरिनरी यूनिवर्सिटी में पशु आरोग्य योजना का शुभारंभ किया.

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इस मौके पर उन्होंने कहा कि स्वस्थ पशु हमारी कृषि और किसान, दोनों की तरक्की के आधार हैं. उन्होंने कहा कि पशुओं में होने वाली मुंहपका और खुरपका बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा और इस बीमारी को 2024 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि इस अभियान पर 12,652 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है और यह पूरा बजट केंद्र सरकार ही वहन करेगी.

गाय का लाइव ऑपरेशन

प्रधानमंत्री ने यहां पं. दीनदयाल वृहद पशु आरोग्य मेला का शुभारंभ किया. इस दौरान मोदी ने गौ-सेवा भी की और टीकाकरण की जानकारी ली. प्रधानमंत्री ने आरोग्य मेला में आए पशु पालकों से मुलाकात कर उनसे बातचीत की.

प्रधानमंत्री मोदी ने यहां गाय के पेट से पॉलीथिन निकालने का लाइव ऑपरेशन भी देखा. गाय के पेट में पॉलीथिन देखकर प्रधानमंत्री ने  मथुरा की धरती से प्लास्टिक के खात्मे के लिए लोगों से अपील की.

कई योजनाओं का उद्घाटन

प्रधानमंत्री ने यहां कई योजनाओं का उद्घाटन भी किया. इनमें सेक्स्ड सीमेन उत्पादन के लिए हापुड़ व बाबूगढ़ में 31 करोड़ रुपये की लागत से प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. पशुपालन विभाग की मुरादाबाद और आगरा की करीब 30 करोड़ की पॉलीक्लीनिक, 117 करोड़ के 150 पशु हॉस्पिटल, प्रयोगशाला और गो संरक्षण केंद्रों भी उद्घाटन किया. उन्होंने इस मौके पर ब्रज क्षेत्र के लिए मथुरा डेयरी उत्पादन क्षमता 60 हजार लीटर से एक लाख लीटर करने को 171 करोड़ की योजना और मथुरा में खारे पानी में झींगा मछली पालन की भी घोषणा की.

उन्होंने कहा कि पर्यावरण और पशुधन हमेशा से भारत के आर्थिक चिंतन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. यही कारण है कि चाहे स्वच्छ भारत हो, जल जीवन मिशन हो या फिर कृषि और पशुपालन को प्रोत्साहन, प्रकृति और आर्थिक विकास में संतुलन बनाकर ही हम सशक्त औऱ नए भारत के निर्माण की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. 

बीमारियों के खिलाफ विशेष अभियान

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल एनीमल डिजीज़ कंट्रोल प्रोग्राम को भी लॉन्च किया. पशुओं के स्वास्थ्य, संवर्धन, पोषण और डेयरी उद्योग से जुड़ी कुछ अन्य योजनाएं भी शुरू की गईं. नेशनल एनीमल डिजीज़ कंट्रोल प्रोग्राम (NADCP) के तहत पशुओं की बीमारी को कंट्रोल करने के लिए अभियान चलाया जाएगा. पशु आयोग्य योजना में देशभर में 500 मिलियन पशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है.

इसके अलावा बछड़े-बछिया को ब्रूसिलोसिस बीमारी से बचाने के लिए भी टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा. सरकार ने 2025 तक ब्रूसिलोसिस को कंट्रोल करने तथा 2030 तक इसे जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है. यहां उन्होंने टीकाकरण अभियान के लिए 40 सचल वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

क्या है खुरपका-मुंहपका बीमारी

खुरपका-मुंहपका बीमारी (FMD) खुर वाले पशुओं जैसे- गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सुअर में होती है. इससे उनके खुरों और मुंह में छाले पड़ जाते हैं, जिसके चलते पशु न तो ठीक से खा पाते हैं और न ही चलफिर पाता हैं. यह बीमारी वायरस से फैलती है. इस बीमारी के आने पर पशु को तेज बुखार हो जाता है. बीमार पशु के मुंह, मसूड़े, जीभ के ऊपर नीचे ओंठ के अन्दर, खुरों के बीच की जगह पर छोटे-छोटे दाने से उभर आते हैं, फिर धीरे-धीरे ये दाने आपस में मिलकर बड़ा छाला बनाते हैं और उनमें जख्म हो जाता है.

 

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ऐसी स्थिति में पशु जुगाली करना बंद कर देता है. मुंह से लार गिरती है. पशु सुस्त पड़ जाते हैं. कुछ भी नहीं खाता-पीता है. खुर में जख्म होने की वजह से पशु लंगड़ाकर चलता है. पैरों के जख्मों में जब कीचड़ मिट्टी आदि लगती है तो उनमें कीड़े पड़ जाते हैं और उनमें बहुत दर्द होता है. दुधारू पशुओं में दूध नहीं बनता है. वे कमजोर होने लगते है. यह रोग कभी-कभी मौत का कारण भी बन सकता है.