इस महीने के अंत में देशवासियों के मस्तक को गर्व से ऊंचा उठा देने वाला एक सपना साकार होने वाला है. मौका होगा 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन के अवसर पर उनकी प्रतिमा के अनावरण का. दुनिया की सबसे ऊंची इस प्रतिमा को स्टैचू ऑफ यूनिटी नाम दिया गया है और इस पर अभी तक कुल 2300 करोड़ रुपये की लागत आ चुकी है. हालांकि लागत बढ़कर 3000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है. 

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कितना लगा मटेरियल?

दुनिया के इस नवीनतम आश्चर्य को बनाया है इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने. कंपनी के एक ब्रोशर के मुताबिक स्टैचू को स्टील फ्रेमिंग, प्रबलित सीमेंट कंक्रीट और कांस्य क्लैडिंग से बनाया गया है. इस मूर्ति को बनाने के लिए 75000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट, 5700 मीट्रिक टन स्टील स्ट्रक्चर, 18500 टन प्रबलित स्टील रॉड और 22500 टन कांसे की चादर का इस्तेमाल किया गया है.

कितने लोग लगे थे?

इसके निर्माण में 3400 मजदूर और 250 इंजीनियरों ने 42 महीने तक रात-दिन काम किया है. इस स्टैचू को पीपीपी मॉडल के आधार पर बनाया गया है और ज्यादातर धन गुजरात सरकार द्वारा जुटाया गया है. गुजरात सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 2012-13 में 100 करोड़ रुपये और 2014-15 में 500 करोड़ रुपये आवंटित किए. 2014-15 के बजट में केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपये की मदद दी. 

कितना समय लगा?

इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में 60 महीने का समय लगा. इसमें 15 महीने प्लानिंग में तथा 42 महीने निर्माण में लगे. बाकी समय प्रोजेक्ट को हैंडओवर करने में लगा. लार्सन एंड टुब्रो को ये प्रोजेक्ट 27 अक्टूबर 2014 को मिला. कंपनी ने प्रोजेक्ट के डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के लिए 2989 करोड़ रुपये की सबसे कम बोली लगाई थी. 

15000 को मिलेगा रोजगार

अगर स्टैचू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई 182 मीटर है और अगर इसके बेस को मिला दें, तो इसकी कुल ऊंचाई 240 मीटर हो जाती है. गुजरात सरकार को उम्मीद है कि इस स्मारक पर हर दिन 15,000 पर्यटक आएंगे और इस प्रोजेक्ट से करीब 15,000 लोगों के सीधे रोजगार मिलेगा.

स्वर्ग जैसा विहंगम दृश्य

स्टैचू ऑफ यूनिटी नर्मदा बांध से करीब 3.5 किलोमीटर दूर साधु बेट नाम के एक नदी द्वीप में है. इस द्वीप को नदी तट से जोड़ने के लिए 250 मीटर लंबा एक पुल भी बनाया गया है. इस स्टैचू को राम वी. सुतार ने डिजाइन किया है. इस स्टैचू का गलियारा नदी की सतह से करीब 500 फिट ऊपर है और यहां एक साथ करीब 200 लोग आराम से आ सकते हैं. यहां से सतपुड़ा और विंध्याचल की पहाड़ियों और 212 किलोमीटर लंबे सरदार सरोवर जलाशय को देखा जा सकता है.