Parliament Budget Session 2024: 31 जनवरी से शुरू हो सकता है संसद का बजट सत्र, जानें कब से कब तक चलेगा
जानकारी के मुताबिक 31 जनवरी को राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगी. इसके अगले दिन वित्त मंत्री देश का बजट पेश करेंगीं.
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट 1 फरवरी को आएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट को छठवीं बार पेश करेंगी. सूत्रों की मानें तो संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा. ये सत्र 31 जनवरी से 9 फरवरी तक चलेगा. जानकारी के मुताबिक 31 जनवरी को राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगी. इसके अगले दिन वित्त मंत्री देश का बजट पेश करेंगीं.
जानकारी के मुताबिक बजट सत्र में राष्ट्रपति के संबोधन के बाद आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को भी 31 जनवरी को ही पेश किया जाएगा. बताया जा रहा है कि इस बार के बजट में महिलाओं को लेकर कुछ बड़े ऐलान किए जा सकते हैं, वहीं सरकार किसानों को दी जा रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाने की घोषणा सहित कई बड़े ऐलान भी अंतरिम बजट में कर सकती है. ऐसे में इस बजट सत्र पर सभी की नजर रहेगी.
बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी बजट है. इसी साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले आने वाला ये बजट काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बजट में लोगों को कई बड़ी घोषणाओं की उम्मीद है. मालूम हो कि चुनावी साल में देश में दो बजट पेश होते हैं जिसमें से पहला बजट मौजूदा सरकार प्रस्तुत करती है. इसके बाद दूसरा बजट चुनाव के बाद गठित नई सरकार पेश करती है.
क्या है आर्थिक सर्वेक्षण?
बजट पेश होने से एक दिन पहले आर्थिक सर्वे पेश किया जाता है. इकोनॉमिक सर्वे (Economic survey) किसी लेखा-जोखा की तरह होता है जिसमें देश के पिछले एक साल के हिसाब-किताब के आधार पर अगले साल का बजट तैयार करने की रूपरेखा तय की जाती है. इसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले एक साल से अंदर देश की अर्थव्यवस्था किस तरह की रही. किन मोर्चों पर फायदा मिला और कहां नुकसान हुआ.
इसी इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर यह तय किया जाता है कि आने वाले साल में देश की अर्थव्यवस्था के अंदर किस तरह की संभावनाएं मौजूद हैं. इकोनॉमिक सर्वे के आधार पर न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था का पूर्वानुमान लगाया ही जाता है, साथ ही यह भी अंदाजा लगाया जाता है कि पिछले साल के आधार पर क्या महंगा होगा और क्या सस्ता हो सकता है.