'एक देश, एक चुनाव' पर बिल ला सकती है सरकार, 18 से 22 सितंबर तक बुलाया संसद का विशेष सत्र
'एक देश, एक चुनाव' का सीधा सा मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. इस मुद्दे पर देश में काफी समय से बहस चल रही है. ये एक ऐसा मुद्दा है जिसको प्रधानमंत्री खुद लंबे समय से उठाते रहे हैं.
2014 से अब तक पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने कई बड़े और चौंकाने वाले फैसले किए हैं. अब सरकार ने एक बार फिर से 18 से 22 सितंबर के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस सत्र में 5 बैठकें होंगी. इस बात की जानकारी संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस विशेष सत्र में सरकार 'एक देश, एक चुनाव' पर बिल ला सकती है. इसको लेकर एक कमेटी का भी गठन कर दिया गया है जिसका अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया है. वहीं कमेटी के सदस्यों को लेकर कुछ देर में घोषणा की जा सकती है.
'एक देश, एक चुनाव' का सीधा सा मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करा लिए जाएं. इस मुद्दे पर देश में काफी समय से बहस चल रही है. ये एक ऐसा मुद्दा है जिसको प्रधानमंत्री खुद लंबे समय से उठाते रहे हैं. इसको लेकर सर्वदलीय बैठक भी पूर्व में बुलाई जा चुकी है लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला. पिछले महीने भी राज्यसभा में चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने एक देश-एक चुनाव को समय की जरूरत बताया था.
आखिर ये होगा कैसे
लोकसभा चुनाव में करीब 6 महीने का वक्त बाकी है और उसके पहले वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है. सरकार के विशेष सत्र बुलाने के साथ ही अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस सत्र में ये सरकार ये बिल लेकर आ सकती है. लेकिन तमाम लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर ये होगा कैसे? इस सवाल का जवाब केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मानसून सत्र के दौरान दिया था. उन्होंने संसद में बताया था कि साथ में चुनाव कराने के लिए संविधान के अनुच्छेद- 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा.
क्या कहते हैं ये अनुच्छेद
- अनुच्छेद-83 के मुताबिक लोकसभा का कार्यकाल पांच साल तक रहेगा. अनुच्छेद- 83(2) में प्रावधान है कि इस कार्यकाल को इस कार्यकाल को एक बार में सिर्फ एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
- अनुच्छेद-85 के अंतर्गत राष्ट्रपति को समय से पहले लोकसभा भंग करने का अधिकार दिया गया है.
- अनुच्छेद-172 में विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का तय किया गया है. हालांकि, अनुच्छेद-83(2) के तहत, विधानसभा का कार्यकाल भी एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
- अनुच्छेद-174 कहता है कि जिस तरह से राष्ट्रपति के पास लोकसभा भंग करने का अधिकार है, उसी तरह से राज्यपाल को विधानसभा भंग करने का अधिकार है.
- अनुच्छेद-356 के तहत राज्यपाल की सिफारिश पर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है.
वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर दिया जाता है ये तर्क
एक देश, एक चुनाव के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क पैसों की बचत का दिया जाता है. इसको लेकर कहा जाता है कि बार-बार चुनाव होते रहने से सरकारी खजाने पर आर्थिक बोझ पड़ता है. एक बार में सभी चुनावों को कराने से चुनावों में होने वाले भारी खर्चों में काफी कमी आएगी. इसके अलावा चुनाव के दौरान शिक्षकों और सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों, पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती होती है. अगर सभी चुनाव साथ होंगे, तो सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा बलों का समय बचेगा और वे अपनी ड्यूटी सही तरीके से कर पाएंगे. हालांकि सरकार अगर ये बिल संसद के विशेष सत्र में ले भी आती है, तो भी इसमें कई रोड़े हैं. कई सारी विपक्षी पार्टियां इसके विरोध में हैं.
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