नागौर जिले के एक छोटे से गांव निमोद में सहकारिता की अलख जगाती एक ग्राम सेवा सहकारी समिति ने जिले और प्रदेश ही नहीं देश में अपना नाम मील के पत्थर की तरह स्थापित किया है. 

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नागौर जिले के डीडवाना उपखंड का एक छोटा सा गांव निमोद है. निमोद में अन्य गांवों की तर्ज पर सहकारिता से जोड़ने के लिए 1954 में निमोद ग्राम सेवा सहकारी समिति का गठन हुआ, मगर यह समिति बाकी गांवों की तरह नहीं है. यहां के संचालक मंडल और व्यवस्थापक द्वारा सहकारिता समिति में आने वाली प्रत्येक सुविधाओं को इससे जोड़ा ग्राम पंचायत की 99 प्रतिशत आबादी सहकारी समिति से किसी न किसी रूप में जुड़ी हुई हैं.

सहकारी समिति द्वारा एक छोटे से गांव में मिनी सुपर मार्केट खोलकर गांव में एक ही छत के नीचे गांववालों को सहकारी भंडार और उपहार के उत्पाद बाजार से कम कीमत पर उपलब्ध करवा रहे हैं. इसमें स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार पापड़, मंगोड़ी, बड़ी भी शामिल हैं.

लिमिटेड कंपनी बनी सहकारिता समिति

सहकारिता समिति द्वारा ग्राम पंचायत क्षेत्र में सूदखोरी पर लगाम लगाने के मामले में भी बड़ा काम किया है. पंचायत क्षेत्र में 2500 सदस्य हैं और 108 स्वयं सहायता समूह बनाकर 1100 से ज्यादा महिलाओं को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए उन्हें उनकी जरूरतों के हिसाब से ऋण दिया जाता है. इसके साथ ही 900 किसानों को ऋण देकर उनकी कृषि जरूरतों को पूरा किया जा रहा है. उतर भारत की एकमात्र ऐसी सहकारी समिति है जो इतने बड़े स्तर पर काम करके सहकारिता को आगे बढ़ा रही है. इस सहकारिता समिति का विस्तार इतना हो चुका है कि अब इसे दी निमोद ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड नाम दिया गया है.

समिति द्वारा जिला और प्रदेश ही नहीं देश स्तर पर आयाम स्थापित किए हैं. यही वजह है कि समिति को वर्ष 2012 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. कार्य दक्षता के लिए प्रदेश स्तर पर दो बार पुरस्कृत किया जा चुका है. यह समिति बीते 25 वर्षों से नागौर जिले में प्रथम स्थान पर है.

ग्राम सेवा सहकारी के व्यवस्थापक सुभाष चंद्र आर्य कहते हैं कि निमोद की सहकारी समिति की तरह अगर देश की सभी सहकारी समितियां काम करने लग जाएं तो सहकारिता क्रांति लाई जा सकती है. ऋण और तंगहाली से बेहाल किसानों को भी सहकार के इस अभियान से फायदा और सम्बल मिलेगा.  

(डीडवाना से हनुमान तंवर की रिपोर्ट)