भारत में नोटबंदी के बाद जारी किए गए 200, 500 और 2000 के नोटों को नेपाल (Nepal) में गैर-कानूनी घोषित करने के चलते उत्तर प्रदेश और बिहार में नेपाल की सीमा से सटे जिलों में कारोबारियों की चिंता बढ़ गई है. इस इलाके की एक बड़ी आबादी नेपाल सरकार के फैसले का खामियाजा उठाना पड़ेगा और उनका कारोबार पूरी तरह ठप पड़ जाएगा. उनके लिए ये फैसला दूसरी नोटबंदी (demonetisation) की तरह है. नेपाल की सीमा से उत्तर प्रदेश के 8 जिले और बिहार के 7 जिले शामिल हैं. ये जिले कारोबार के लिए काफी हद तक नेपाल पर निर्भर हैं और नए नोट बंद होने से यहां कारोबारियों पर बुरा असर होगा. ठीक इसी तरह भारत की सीमा से सटे नेपाल के इलाकों पर भी इस फैसले का बुरा असर होगा.

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समाचार पत्र प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक स्थानीय लोगों का कहना है, 'भारतीय लोगों के लिए नेपाल से व्यापार करना असुविधाजनक होगा, क्योंकि उन्हें नेपाल में चलने लायक करेंसी मिलने में दिक्कत होगी. इसके तमाम साइड इफेक्ट नेपाल को भी झेलने पड़ सकते हैं.' इस फैसले से यूपी-बिहार और नेपाल के बीच होने वाले पर्यटन पर भी असर पड़ सकता है.

उत्तर प्रदेश के जिले पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज और कुशीनगर नेपाल की सीमा से सटे हुए हैं, जबकि बिहार के जिले पश्चिम चंपारण, मोतिहारी, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अड़रिया और किशनगंज भी नेपाल की सीमा पर स्थित हैं. इन जिलों में व्यापारियों का कहना है कि भारत में अब 100 के नोट चलन में बहुत कम हैं. ऐसे में 500 और 2000 के नोटों के बिना काम चलना बहुत मुश्किल है.

भारत में नोटबंदी के बाद नेपाल राष्ट्र बैंक के पास बड़ी मात्रा में भारतीय मुद्रा जमा हो गई. नेपाल इस मुद्रा को बदलने के लिए दबाव बना रहा है, जबकि भारत इन मुद्राओं के स्रोत के बारे में पूछ रहा है. नेपाल राष्ट्र बैंक इसका जवाब नहीं दे रहा है. भारत का कहना है कि जब सीमित मात्रा में करेंसी ले जाने का प्रावधान था तो इतनी करेंसी नेपाल में जमा कैसे हो गई.