NEET UG Examination, Supreme Court Hearing: विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई की है.  सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी, केंद्र सरकार और सीबीआई से 10 जुलाई शाम पांच बजे तक एफिडेविट दाखिल करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अब अगली सुनवाई 11 जुलाई 2024 को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, 'अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा.' 

NEET UG Examination, Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'परीक्षा की शुचित हुई नष्ट, दोबारा परीक्षा का देना होगा आदेश' 

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नीट यूजी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि,'यह साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है,  हम लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं, जो हुआ उसे नकार नहीं सकते हैं.' बकौल सुप्रीम कोर्ट, 'यदि परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाए और अगर प्रश्न पत्र लीक सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा.' सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, 'कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं, 67 उम्मीदवार 720 में से 720 अंक प्राप्त कर रहे हैं जबकि पिछले वर्षों में यह अनुपात बहुत कम था.'  

NEET UG Examination, Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- 'जानना चाहते हैं लाभार्थियों की संख्या'

सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी की सुनवाई के दौरान कहा, 'हम प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की संख्या जानना चाहते हैं, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. यह मानते हुए कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, वह प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी? कितने गलत कृत्य करने वालों के परिणाम रोके गए हैं, ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं.' बकौल सुप्रीम कोर्ट , 'दोबारा परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें लीक की सीमा के प्रति सचेत रहना चाहिए क्योंकि हम 23 लाख छात्रों से निपट रहे हैं.'

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, 'इसकी जांच करनी होगी कि क्या कथित उल्लंघन प्रणालीगत स्तर पर हुआ है, क्या उल्लंघन ने पूरी परीक्षा प्रक्रिया की इंटीग्रिटी को प्रभावित किया है, क्या धोखाधड़ी के लाभार्थियों को बेदाग छात्रों से अलग करना संभव है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ऐसी स्थिति में जहां उल्लंघन पूरी प्रक्रिया को प्रभावित करता है और लाभार्थियों को दूसरों से अलग करना संभव नहीं है, फिर से परीक्षा का आदेश देना आवश्यक हो सकता है.'