करीब महीने भर पहले टीसीएस में घूसखोरी (TCS Bribery) का मामला सुर्खियों में छाया था. इस मामले को लेकर श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) से भी कुछ सवाल पूछे गए थे. अब उस मामले पर श्रम मंत्रालय ने साफ किया है कि उनके पास ऐसा कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है. श्रम मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने खुद इस बात की जानकारी दी है.

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कांग्रेस के Kodikunnil Suresh ने श्रम मंत्रालय से सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने टीसीएस के सीनियर अधिकारियों द्वारा घूस लिए जाने की रिपोर्ट्स पर कोई संज्ञान लिया है, जो स्टाफिंग फर्म्स से उनके कैंडिडेट को नौकरी दिलाने के बदले पैसे लेते थे? उन्होंने पूछा है कि क्या सरकार ने टीसीएस से इस मामले पर कोई जवाब मांगा है? क्या प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों में चल रही ऐसी गलत प्रैक्टिस पर सरकार एक एक्सपर्ट फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाकर जांच करेगी? इसके जवाब में श्रम मंत्रालय के राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि मंत्रालय के पास ऐसा कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया गया है. 

लेबर मंत्रालय के समवर्ती सूची में होने के कारण, श्रम कानूनों का अनुपालन राज्य सरकारों और केंद्र सरकार द्वारा अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में किया जाता है. केंद्र सरकार के मामले में सेंट्रल इंडस्ट्रियल रिलेशन मशीनरी के अधिकारी जांच करते हैं. वहीं राज्य सरकारों के मामले में उस राज्य के श्रम विभाग की तरफ से जांच की जाती है.

क्या था मामला?

करीब महीने भर पहले खबर आई थी कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस यानी टीसीएस में कुछ अधिकारी नौकरी के बदले घूस ले रहे थे. यह अधिकारी स्टाफिंग फर्म से कमीशन लेते थे और उनके कैंडिडेट्स को कंपनी में नौकरी दिलाते थे. खबर आई थी कि कंपनी ने ऐसे 4 अधिकारियों को कंपनी से निकाल दिया है. बताया जा रहा था कि ऐसा कई सालों से चल रहा था और मामला खुलने के तुरंत बाद टीसीएस ने एक्शन लिया. वहीं कंपनी ने कुछ स्टाफिंग फर्म्स को भी ब्लैकलिस्ट कर दिया था. इसकी जानकारी एक व्हिसलब्लोअर से मिली, जिसने मामले की जानकारी एक लेटर के जरिए कंपनी के सीईओ और सीओओ को दी. उसके बाद टीसीएस ने एक जांच कमेटी बनाई, जिसके बाद कार्रवाई की गई. खबर तो यहां तक थी कि इन अधिकारियों ने लोगों से करीब 100 करोड़ रुपये तक का कमीशन लिया था.