देश में किसानों की कमजोर आर्थिक स्थिति और खेती से आमदनी अपेक्षा के अनुसार नहीं बढ़ने के कारण मोदी सरकार किसानों को सीधा पहुंचाने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कृषि ऋण माफी के पक्ष में नहीं है, इसलिए अब वैकल्पिक रणनीति बनाई जा रही है. इसके तहत किसानों के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम के मॉडल पर विचार किया जा रहा है. मोदी सरकार में जन-धन खातों और आधार के जरिए डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के मॉडल के मजबूती दी है. DBT का मॉडल मजबूत होने के चलते यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करना आसान है.

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किसानों को राहत देने का दबाव

देश में किसान फसलों के उचित मूल्य और कर्ज माफी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. हाल में हुए 5 राज्यों के चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने किसानों की कर्ज माफई को एक बड़ा मुद्दा बनाया था. ऐसे में केंद्र सरकार के ऊपर किसानों को राहत देने का दबाव है. हालांकि सूत्रों के मुताबकि सरकार में निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल कुछ लोगों मानना है कि कर्ज माफी स्थाई समाधान नहीं है. इसके अलावा कई राज्यों में भूमि रिकार्ड का डिजिटलाइजेशन न होने के चलते भी बाधा है.

डायरेक्ट ट्रांसफर पर जोर

ऐसे में सरकार चाहती है कि किसानों को सीधे फायदा पहुंचाने के विकल्प पर विचार किया जाए. इसके तहत फसल की एडवांस कीमत खाते में डालने के विकल्प पर भी चर्चा की गई है. इस संबंध में कृषि मंत्रालय ने कुछ प्रजेंटेशन दिए हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस संबंध में बड़ी घोषणा हो सकती है.