आम का शौक पड़ेगा जेब पर भारी, पैदावार पर पड़ी खराब मौसम की मार, आसमान छू रहे हैं दाम
Mango Price Hike: अत्याधिक गर्मी और कम बारिश से इस साल आम की फसल को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने बताया कि आम की विभिन्न किस्मों की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं है.
Mango Price Hike: चिलचिलाती गर्मी और कम बारिश ने पश्चिम बंगाल में आम के उत्पादन और निर्यात को प्रभावित किया है. जिसके परिणामस्वरूप आम की कीमतों (Mango Price) में वृद्धि हुई है. भारत में आम की अधिकांश किस्में अच्छी वर्षा (75 से 375 सेमी प्रति वर्ष) और शुष्क मौसम वाले स्थानों में पनपती है. आम विक्रेताओं ने बताया कि इस साल आम के फूल आने के दौरान बारिश हुई थी, लेकिन जब फल का विकास हो रहा था, तब बारिश नहीं हुई. मौसम ने आम की फसल पर इस बार कहर बरपाया.
आम किसानों को हुआ नुकसान
देश के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक उत्तरी कोलकाता की मचुआ मंडी के विक्रेताओं ने बताया कि आम की सबसे बड़ी मात्रा में उत्पादन करने वाले दो जिलों मुर्शिदाबाद और मालदा में अधिकांश आम किसानों को झटका लगा है. विक्रेताओं ने कहा कि अल्फांसो बाजार से बाहर है और हेम सागर, गुलाब खास और लंगड़ा जैसी अन्य किस्मों की कीमतें (Mango Price) थोक बाजार में 80 रुपये से 180 रुपये के बीच हैं.
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उत्तर प्रदेश से सप्लाई भी प्रभावित
वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले चौसा और दसेरी की किस्मों की भी सप्लाई भी कम है. सप्लाई की कमी के कारण आम की कीमतें भी बढ़ गई है, जिससे बिक्री पर भी असर पड़ा है.
वहीं उत्तर प्रदेश में भी आम के प्रोडक्शन (Mango Production) पर मौसम की मार पड़ी है. आम उत्पादकों का कहना है कि इस साल यूपी में आम के लगभग 80 फीसदी प्रोडक्शन पर असामान्य मौसम और अत्याधिक गर्मी का असर हुआ है. ऑल इंडिया मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन ने कहा है कि इसका सीधा असर आम की विभिन्न किस्मों की कीमत (Mango Price Hike) पर पड़ेगा, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 70-80 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं होगी.
लगातार तीसरे साल नुकशान की आशंका
एसोसिएशन ने कहा कि 10 जून के आसपास प्राकृतिक रूप से पके आम के बाजार में आते ही कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है. आम उत्पादकों के लिए यह तीसरा वर्ष होगा जब उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ेगा. 2020 और 2021 में, कोविड -19 महामारी के कारण आम के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और स्थानीय बिक्री भी कम थी.