मुंबई में स्कूल बस के किराये में होगी 30% तक की बढ़ोतरी, जानें क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, अब दो टाइमिंग में स्कूल चलाया जाएगा. वहीं, 1 शिफ्ट के बजाए बच्चों को 2 शिफ्ट में स्कूल बुलाने का फैसला किया गया है.
भीषण गर्मी को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. दरअसल, ये फैसला स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए लिया गया है. महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के स्कूल टाइमिंग में बदलाव किया जाए.
स्कूल टाइमिंग में किया गया बदलाव
महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, अब स्कूल में दो टाइमिंग में स्कूल चलाया जाएगा. वहीं, 1 शिफ्ट के बजाए बच्चों को 2 शिफ्ट में स्कूल बुलाने का फैसला किया गया है. क्लास प्री प्राइमरी से कक्षा 4 तक के बच्चे सुबह 9 बजे से स्कूल अटेंड करेंगे. वहीं, सेकेंडरी स्कूल के बच्चे सुबह 7 बजे से स्कूल अटेंड करेंगे. आपको बता दें कि मुंबई में बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल स्कूल बस का किया जाता है, सरकार के इस फैसले के बाद पेरेंट्स की जेब पर इसका सीधा असर दिखेगा.
30% तक बढ़ सकते हैं स्कूल बस के किराए
स्कूल बस ऑनर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट अनिल गर्ग का कहना है कि नए एकेडमिक ईयर की शुरुआत से स्कूल बस के किराए में बढ़ोतरी की जाएगी. स्कूल बस के किराए में 30 फीसदी तक बढ़ोतरी की जाएगी. ऑपरेशनल कॉस्ट में कई चीजें आती है जिनमें बस फ्लीट में बढ़ोतरी, अटेंडेंट दीदी की हायरिंग, ट्रैफिक के दौरान फ्यूल कंजप्शन में बढ़ोतरी शामिल हैं.
बस किराए में हर साल 10% से 12% तक की बढ़ोतरी
इसके अलावा एसोसिएशन का कहना है कि जिस प्रकार से 9 बजे की स्कूल शिफ्ट की बात की गई है, उस समय मुंबई के सड़कों पर गाड़ियों का लंबा जमावड़ा लगा रहता है, यदि बच्चे स्कूल पहुंचने में लेट होते हैं तो बस एसोसिएशन इसके जिम्मेदारी नहीं लेंगे. बच्चों के पेरेंट्स का कहना है कि कोविड के बाद बस किराए में हर साल 10% से 12% तक की बढ़ोतरी होती है, ऐसे में इस तरह से बस के किराए में वृद्धि सीधा घर के बजट पर असर करेगी.
टाइम टेबल में बदलाव से होगी परेशानी
कुछ पेरेंट्स का कहना है कि जिन स्कूल के पास उनके खुद की बसें हैं वो खुद ट्रैफिक में फंस जाती है तो समय पर सूचना नहीं देते हैं और कभी कभी बस में अटेंडेंट भी नहीं रहती, इस बीच बच्चों को कुछ हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? जब तक बच्चे घर नहीं पहुंचते तब तक हमें उनकी चिंता लगी रहती हैं . दूसरे स्कूल का कहना है कि सारी व्यवस्था पेरेंट्स से बातचीत कर के की जा रही हैं, कुछ पेरेंट्स का कहना है कि टाइम टेबल में बदलाव उनके वर्किंग लाइफ में डिसबैलेंस लाएगा जिससे उनके रोजमर्रा के जीवन पर सीधा असर पड़ेगा.