कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था लगभग चौपट हो रही है. पूरे भारत में 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) लागू है. एक छोटी से दुकान से लेकर बड़े से बड़े कारोबारों पर ताले लगे हुए हैं. बस से लेकर ट्रेन और हवाई जहाज तक बंद हैं. ऐसे में सरकारों के सामने अपने-अपने राज्यों की व्यवस्थाओं को संभालने में दिक्कतें आ रही हैं. 

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इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए कंपनियां और सरकारें अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रहे हैं. इस कड़ी में महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने के मद्देनजर मुख्यमंत्री समेत राज्य में जनप्रतिनिधियों के इस महीने के वेतन में 60 प्रतिशत की कटौती की जायेगी. मंत्रियों और विधायकों के साथ राज्य के कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की जाएगी. 

उपमुख्यमंत्री तथा वित्त मंत्री अजित पवार (Finance minister Ajit Pawar) ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कर्मचारियों की विभिन यूनियनों से विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया है.

अजित पवार ने बताया कि मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के मार्च महीने के वेतन में 60 प्रतिशत की कटौती की जाएगी. पवार ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और लॉकडाउन के बाद संसाधनों की कमी हुई है.

 

श्रेणी एक और श्रेणी दो के कर्मचारियों के वेतन में 50 प्रतिशत की कटौती होगी, जबकि तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के वेतन में 25 प्रतिशत की कटौती होगी. 

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उन्होंने कहा कि विभिन्न कर्मचारियों की यूनियनों से विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि जन प्रतिनिधि राज्य के वित्त विभाग के साथ सहयोग करेंगे क्योंकि कोरोना वायरस के खिलाफ जारी इस लड़ाई में राज्य के लिए एक मजबूत वित्तीय समर्थन की जरूरत है.’