आलस बना बड़ा दुश्मन! आलसी होने के कारण हर साल मारे जाते हैं 8 लाख 30 हजार लोग
रिपोर्ट की मानें तो हर साल दुनिया में 8 लाख 30 हजार लोगों की मौत आलसी होने की वजह से हो जाती है. दुनिया के आधे से ज्यादा लोग कम से कम कसरत में भी यकीन नहीं रखते और वो कुछ ना करने की वजह से बीमार होते जा रहे हैं.
Representative Image (Source: Pexels)
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आलस इंसान का दुश्मन है, ये लाइन आपने बहुतों बार सुनी होगी, लेकिन आलस जान भी ले सकता है, ये सुनकर एकबारगी हैरानी हो सकती है. WHO (World Health Organization) ने चेतावनी देने वाली एक ऐसी रिपोर्ट पेश की है जिसके मुताबिक दुनिया भर में हर साल लाखों लोग बस अपने आलसीपन की वजह से जान गंवा बैठते हैं. रिपोर्ट की मानें तो हर साल दुनिया में 8 लाख 30 हजार लोगों की मौत आलसी होने की वजह से हो जाती है. दुनिया के आधे से ज्यादा लोग कम से कम कसरत में भी यकीन नहीं रखते और वो कुछ ना करने की वजह से बीमार होते जा रहे हैं. रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों की मानें तो 81% टीनएज़र और 28% वयस्क विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के हिसाब से मिनिमम एक्सरसाइज भी नहीं करते और आलसी लोगों की कैटेगरी में आते हैं.
174 देशों पर तैयार की गई ये पहली ग्लोबल रिपोर्ट है जो दुनिया के आलसी होने का पता दे रही है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कई देश अपने लोगों के लिए ऐसे नियम ही नहीं ला सके हैं जो उन्हें फिट रहने के लिए प्रेरित नहीं करते,
आलसीपन पर क्या कहते हैं आंकड़े (Physical Inactivity)
रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत में 18 साल से ऊपर के 34% लोग आलसी हैं और फिजिकल इनएक्टिविटी के शिकार हैं. इससे भी बड़ी बात ये है कि 11 से 17 साल के 74% बच्चे आलसी हैं और जरुरी फिजिकल एक्टिविटी से कोसों दूर हैं. हर वर्ष दुनिया के 8 लाख 30 हज़ार लोग इसलिए मारे जाते हैं क्योंकि वो आलसी हैं और कुछ नहीं करते. लाइफस्टाइल से होने वाली कुल मौतों में से 2 फीसदी लोग इसलिए मारे जा रहे हैं क्योंकि वो आलसी हैं. आलसीपन का अमीरी से रिश्ता भी है. दुनिया में अमीर देशों में 36% लोग आलसी हैं जबकि गरीब देशों में 16% लोग ऐसे हैं जिनकी शारीरिक कसरत ना के बराबर है. अमीर देशों में स्वास्थ्य पर खर्च होने वाला कुल खर्च में से 70% लाइफस्टाइल वाली बीमारियों के इलाज में खर्च होगा.
लोग इतने आलसी क्यों हैं
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174 में से लगभग आधे देशों में पैदल चलने और साइकिल चलाने के हिसाब से रोड डिजाइन ही नहीं है. केवल 73 देश ऐसे हैं जो छोटे सफर के लिए पैदल चलने और साइकलिंग को बढ़ावा देते हैं और उसके हिसाब से सड़कें तैयार करते हैं. ज्यादातर देश मोटर व्हीकल्स के हिसाब से सड़कें बनाने में लगे हैं. स्पीड लिमिट भी लोगों को पैदल चलने से रोक रही है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई गाड़ी 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की जगह 65 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चल रही है तो पैदल व्यक्ति के एक्सीडेंट होने का खतरा 4 गुना बढ़ जाता है.
इसके अलावा अपनी खुद की लापरवाही इससे कहीं ज्यादा बड़ी वजह हो सकती है. हेल्दी रहना एक तरह से अपनी चॉइस है. इसके लिए वक्त निकालना पूरी तरह से आपके ऊपर है. ऐसे में यह जरूरी है कि आप अपने हेल्थ के लिए "कॉन्शस चॉइसेज़" लें.
07:40 PM IST