Karnataka Election Results: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की (जीत) रुझान के मुताबिक तय हो गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री के लिए कोई चेहरा नहीं चुना गया है. सिद्धरमैया चुनाव से पहले शनिवार को मैसूर में एक सभा को संबोधित करते हुए बोले,  कर्नाटक का यह चुनाव 2024 में कांग्रेस को जीत की ओर ले जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे पहले मै कई बार बोल चुका की ये मेरा आखिरी चुनाव हैं. इसके बाद मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले लूंगा. लेकिन शनिवार को सिद्धरमैया सभा को संबोधित करते हुए संकेत दिया कि उनकी निगाहें भविष्य की संभावनाओं पर टिक गई हैं.

सिद्धरमैया का सपना मुख्यमंत्री पद?

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सिद्धरमैया शनिवार को लोगों को संबोधित करते मुख्यमंत्री पद पर बैठने की इच्छा जता चुके हैं. अब सिद्धरमैया केवल चुनाव के बाद सीएम का नाम चुनने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन मुख्यमंत्री पद के इस दौड़ में सिद्धरमैया और कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार हैं.हालांकि पार्टी ने अभी तक किसी का नाम घोषित किया हैं. इससे पहले सिद्धरमैया साल 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य को संभाल चुके हैं. बता दें कि, साल 2013 में एम. मल्लिकार्जुन खरगे (वर्तमान में कांग्रेस अध्यक्ष) और तत्कालीन केंद्रीय श्रम मंत्री को पीछे छोड़ते हुए सिद्धरमैया मुख्यमंत्री बने थे.

कुरुबा समुदाय के बड़े चहरे हैं सिद्धरमैया

बता दें कि, करीब ढाई दशक से ‘जनता परिवार’ से जुड़े रहे और कांग्रेस विरोधी के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धरमैया 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. जिसके बाद साल 2004 में खंडित जनादेश के बाद कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार बनाई थी, जिसमें कांग्रेस नेता एन. धर्म सिंह मुख्यमंत्री जबकि तत्कालीन जद (एस) नेता सिद्धरमैया को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. सिद्धरमैया कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और यह समुदाय राज्य में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है. 

2006 में सिद्धरमैया कांग्रेस से जुड़े 

सिद्धरमैया को जद (एस) से बर्खास्त किए जाने के बाद पार्टी के आलोचकों ने दावा किया था कि, उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि जद (एस) नेता एच.डी. देवेगौड़ा कुमारस्वामी को पार्टी के नेता के रूप में बढ़ाते हुए देखना चाहते थे. अधिवक्ता सिद्धरमैया ने उस वक्त भी 'राजनीति से सन्यांस' की बात कही थी. लेकिन उस दौरान उन्होंने वहां से लौटने का फैसला किया था. उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने मुझे  लुभाते हुए पार्टी में पद देने की बात कही थी. लेकिन मै भाजपा की विचारधारा से सहमत नहीं था और 2006 में अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गया. लेकिन यह मेरे राजनीतीक जीवन का एक ऐसा कदम था जिसके बारे में मैंने कभी सोचा नहीं था. 

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