कर्नाटक में सत्ता और कुर्सी का लालच एक बार फिर सिर उठा रहा है. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी भले ही दावा कर रहे हों कि सबकुछ ठीक है लेकिन, कुर्सी की कश्मकश सारी पोल खोल रही है. दो दर्जन से ज्यादा विधायकों के बागी हो जाने के बाद कर्नाटक सरकार का अल्पमत में आना तय है. लेकिन कुमारस्वामी सबको मना लेने का दावा कर रहे हैं.

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राज्य के सभी मंत्रियों का इस्तीफा बता रहा है कि कर्नाटक की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं. कांग्रेस के बाद जेडीएस के भी सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि पुराने मंत्रियों के इस्तीफे लेकर बागी विधायकों को मंत्री पद का लालच देकर सरकार बचाने की कवायद चल रही है. फिलहाल इस मुद्दे पर कर्नाटक से लेकर मुंबई और दिल्ली तक हिली हुई है.

कर्नाटक का मामला सोमवार को संसद में भी उठा. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने बीजेपी पर कर्नाटक सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया, तो बीजेपी ने दोहराया कि ये कांग्रेस-जेडीएस का अंदरुनी मामला है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि बीजेपी का इससे कोई लेना-देना नहीं है. 

 

कर्नाटक के राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने दावा किया सभी विवादों को सुलझा लिया गया है और सरकार अच्छी तरह से चल रही है, सरकार को कोई खतरा नहीं है.

हालांकि, कांग्रेस-जेडीएस सरकार में सबठीक हो ऐसा भी नहीं है. ताजा सियासी घटनाक्रम के बाद जेडीएस विधायकों के भी टूटने का खतरा भांपकर कर्नाटक में कोडागु के एक रिसॉर्ट में 30 कमरे बुक कराए गए. देर शाम तक सभी विधायकों के वहां पहुंचने की खबर है.

निर्दलीय विधायक एच. नागेश मंत्री पद से इस्तीफा देकर अपना समर्थन वापस ले चुके हैं. अपने इस्‍तीफे में उन्होंने बीजेपी को समर्थन की बात भी कह दी है. इस तरह अब तक नागेश समेत बागी विधायकों की कुल संख्‍या बढ़कर 14 हो गई है.

अगर ये इस्‍तीफे स्‍वीकार हो जाते हैं तो विधानसभा में सदस्‍यों की संख्‍या 210 रह जाएगी. बीजेपी के पास 105 विधायक हैं और इस स्थिति में उसके पास बहुमत के लिए केवल एक वोट की कमी होगी. ऐसे मौके पर स्‍पीकर का वोट अहम हो जाएगा. यानी साफ है कि कर्नाटक में बागियों ने संकट गहरा दिया है.

कर्नाटक के इस सियासी नाटक की दो थ्योरी सामने आ रही हैं. पहली थ्योरी में आरोप बीजेपी पर हैं जिसमें कहा जा रहा है कि वह ऑपरेशन कमल के तहत राज्य की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में है. दूसरी थ्योरी कांग्रेस नेता सिद्धारमैया से जुड़ी हुई है. चूंकी इस्तीफा देने वाले ज्यादातर विधायक सिद्धारमैया गुट से हैं, इसलिए माना जा रहा है कि सिद्धारमैया खुद सीएम बनने के लिए कुमारस्वामी पर दबाव बना रहे हैं.

कांग्रेस की मुश्किल ये है कि उसके पास अभी राष्ट्रीय नेतृत्व का संकट है. राहुल गांधी समेत पार्टी के बड़े नेता एक-एक कर इस्तीफा दे रहे हैं. इसलिए फिलहाल पार्टी नेतृत्ववहीन हो चुकी है. सवाल ये है कि आखिर कैसे खत्म होगा कर्नाटक का सियासी संकट, सरकार बचाने के लिए क्या कुमारस्वामी इस्तीफा देंगे, आखिर कौन बनेगा कांग्रेस का संकट मोचक और क्या वाकई बीजेपी विधायकों को अपने पाले में कर कर्नाटक में सरकार बनाने जा रही है.