Karnataka Auto Fare Dispute: कर्नाटक में राज्य सरकार और कैब एग्रीगेटर्स कंपनियों के बीच ऑटोरिक्शा के भाड़े को लेकर जारी विवाद पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामला सुलझाने का निर्देश दिया है. ओला और उबर जैसे कैब एग्रीगेटर्स पर आरोप है कि वह तय सीमा से अधिक भाड़ा वसूलते हैं, जिसके चलते राज्य सरकार ने इन कैब एग्रीगेटर्स को बेंगलुरु में ऑटो सेवाओं के देने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके खिलाफ एएनआई टेक्नोलॉजीज (OLA) और उबर टेक्नोलॉजीज (UBER) द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर न्यायमूर्ति एम.जी.एस. कमल ने राज्य सरकार को निर्देश जारी किया है कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से मामले का निपटारा करें.

कैब एग्रीगेटर्स ने लगाया आरोप

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राज्य सरकार के खिलाफ दायर याचिका में कैब एग्रीगेटर्स ने कहा कि राज्य के परिवहन विभाग के आदेश साफ नहीं है और प्रतिबंध लगाने के पीछे उचित कारण नहीं बताए गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि परिवहन विभाग के नोटिस जारी करने के बाद उन्हें जवाब देने का उचित समय भी नहीं दिया गया. राज्य सरकार और कैब एग्रीगेटर्स 6 अक्टूबर से इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं.

2 किलोमीटर के लिए लेते हैं 100 रुपये

कर्नाटक परिवहन विभाग ने Ola, Uber और Rapido जैसे कैब एग्रीगेटर्स की ऑटो सेवाओं को बेंगलुरु में अवैध घोषित करने का आदेश दिया था. एग्रीगेटर्स द्वारा ऑटो से 2-किलोमीटर की यात्रा के लिए ₹100 वसूलने की शिकायतों के बाद यह आदेश दिया गया.

क्या है नियम

बेंगलुरु शहर में तय नियम के अनुसार, शहर में ऑटो किराया के लिए 2 किलोमीटर के लिए अधिकतम किराया 30 रुपये और 5 मिनट के लिए 5 रुपये का वेटिंग चार्ज आधिकारिक तौर पर तय किया गया है. इसके बाद हर किलोमीटर पर 15 रुपये लिए जा सकते हैं. लेकिन ऐसी शिकायतें लगातार आती रही हैं, जहां ओला,उबर, रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर्स सवारी से 2 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 100 रुपये तक ले लेते है. 

ऑटो रिक्शा यूनियन लॉन्च करेगी अपना ऐप

इस बीच, बेंगलुरु ऑटोरिक्शा ड्राइवर्स यूनियन (ARDU) अपना खुद ऐप नम्मा यात्री ऐप (Namma Yatri App) लॉन्च करने की योजना बनाई है. यह ओला, उबर, रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर्स को टक्कर देगी. यह एक 1 नवंबर तक लॉन्च किया जा सकता है, जिसे उद्यमी नंदन नीलेकणी समर्थित बेकन फाउंडेशन के साथ साझेदारी में लॉन्च किया जाएगा. ARDU के अध्यक्ष डी. रुद्रस्वामी (D. Rudraswamy) ने कहा कि ऐप आधारित सेवा प्रदाता 100 रुपये लेते हैं और शेष राशि को कमीशन के रूप में रखते हुए ड्राइवरों को केवल 60 रुपये देते हैं.