Kabir Bedi: कभी PM Modi की तारीफों के पुल बांधते थे कबीर बेदी, अब मिडिल क्लास पर लगाए Tax को कहा क्रूर
एक वक्त था जब पीएम मोदी (PM Modi) की छवि से लेकर उनकी पॉलिसी और आइडिया तक कबीर बेदी (Kabir Bedi) को बहुत पसंद थे. कभी उनके काम के तरीकों की हर मोर्चे पर तारीफें करने वाले एक्टर कबीर बेदी इस बार उनकी आलोचना कर रहे हैं.
एक वक्त था जब पीएम मोदी (PM Modi) की छवि से लेकर उनकी पॉलिसी और आइडिया तक कबीर बेदी (Kabir Bedi) को बहुत पसंद थे. कभी उनके काम के तरीकों की हर मोर्चे पर तारीफें करने वाले एक्टर कबीर बेदी इस बार उनकी आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने केंद्र सरकार की तरफ से जारी बजट (Budget 2024) के कुछ पहलुओं पर मोदी सरकार को घेरा है. उन्होंने मिडिल क्लास (Middle Class) पर लगाए जा रहे टैक्स (Tax) को क्रूर तक कह दिया है.
क्या बोले कबीर बेदी?
कबीर बेदी ने एक्स पर लिखा है- मैं पिछले 10 सालों से पीएम मोदी का समर्थन कर रहा हूं और बाकी मामलों पर अब भी करता हूं. लेकिन इस बजट में मिडिल क्लास पर लगाए गए भारी-भरकम बजट से मैं बेहद नाराज हूं. जो लोग इसका भार नहीं उठा पा रहे हैं, जो लोग बढ़ते किराए और कीमतों को चुका रहे हैं, उन लोगों का खून बहाना एक बड़ी गलती है, नौकरीपेशा लोगों के लिए यह सबसे ज्यादा दर्दनाक है. सरकार अधिक प्रगतिशील तरीकों से अपनी कमाई को बढ़ा सकती है. यह टैक्स का तरीका क्रूर है.
कबीर बेदी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते है. वह पीएम मोदी के प्रबल समर्थक माने जाते हैं. ऐसे कई मौके हैं, जब उन्हें पीएम की तारीफें की हैं, जिसे उन्होंने खुद अपने ट्वीट में माना भी है. हालांकि, मिडिल क्लास पर लग रहे भारी टैक्स पर इस वक्त एक बहस छिड़ गई है और इसे लेकर मोदी सरकार का काफी विरोध भी हो रहा है. इसी बीच कबीर बेदी ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कही है.
सालों से मिडिल क्लास के लिए नहीं हुआ कुछ भी खास
देश की आबादी में मिडिल क्लास की हिस्सेदारी करीब 31 फीसदी है. हालांकि, जानकारों का मानना है कि बजट में अक्सर ही उनकी अनदेखी की जाती रही है. सालों से ना तो इनकम टैक्स छूट (Tax Exemption) की सीमा को बढ़ाया गया है, ना ही 80सी या 80डी के तहत होने वाले निवेश की सीमा को बढ़ाया है. यहां तक कि स्टैंडर्ड डिडक्शन में भी सालों से कुछ नहीं बदला है. वहीं सरकार ने नया टैक्स रिजीम भी लागू कर दिया है, जिसमें इक्का-दुक्का डिडक्शन ही मिलती हैं, जिससे लोग निवेश के लिए हतोत्साहित हो रहे हैं.
इस बजट में मिडिल क्लास के लिए हुईं ये घोषणाएं
इस बार के बजट से लोग तमाम उम्मीदें लगाए बैठे थे, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. हां, नए टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार रुपये कर दिया गया, जो नाकाफी सा लगता है. वहीं दूसरी ओर लॉन्ग टर्म कैपिटेल गेन (LTCG) टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया. साथ ही शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स को भी 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया.
पिछले कुछ सालों से तमाम स्कीमों में निवेश से लोगों को ना तो अच्छे टैक्स बेनेफिट मिल रहे हैं, ना ही बेहतर रिटर्न. ऐसे में ये देखने को मिला है कि एक बड़ी रिटेल आबादी ने शेयर बाजार का रुख कर लिया है. अब सरकार ने LTCG और STCG पर भी टैक्स बढ़ा दिया है यानी शेयर बाजार से भी होने वाली कमाई पर अब सरकार ज्यादा टैक्स कमाना चाहती है.
इंडेक्सेशन बेनेफिट पर चली कैंची
मिडिल क्लास के लोग प्रॉपर्टी में निवेश को बहुत ही सुरक्षित और अच्छा मानते हैं. ऐसे में जब भी उनके पास कुछ अतिरिक्त इनकम होती है तो वह उससे जमीन या घर या दुकान खरीदते हैं. बता दें कि इन्हें बेचने से होने वाली कमाई पर भी इस बजट में कैंची चली है. सरकार ने प्रॉपर्टी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेशन में इंडेक्सेशन (Indexation Benefit) का फायदा हटा दिया है. सरकार की ओर से प्रॉपर्टी की बिक्री पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 20 से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है, लेकिन इसमें पहले मिलने वाले इंडेक्सेशन का फायदा हटा लिया गया है. इंडेक्सेशन एक सूचकांक होता है, जिसमें एसेट्स की कीमत को महंगाई के हिसाब से समायोजित किया जाता है. इस इंडेक्स को प्रति वर्ष अपडेट किया जाता है.