विदेश घूमने जाने और पढ़ाई करने के लिए भारतीय लगातार जोरदार खर्च कर रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच साल में भारतीयों ने विदेश यात्रा पर 253 गुना खर्च किया है. इसी तरह पढ़ाई पर खर्च में 17 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आंकड़ों पर अगर गौर करें तो वित्त वर्ष 2014 तक भारतीयों के द्वारा विदेश घूमने जाने पर किया गया खर्च 1.60 करोड़ डॉलर था, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 4 अरब डॉलर हो गया है. 

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इसी प्रकार, पढ़ाई पर भारतीयों ने वर्ष 2018 में 2.9 अरब डॉलर खर्च किया है. खर्च में बढ़ोतरी के आंकड़े क्रेडिट कार्ड से किए गए भुगतान के आधार पर जुटाए गए हैं. इसके अलावा विदेश घूमने गए भारतीयों की संख्या में भी काफी तेजी आई है. वर्ष 2017 में 2.30 करोड़ भारतीय विदेश यात्रा पर घूमने गए.

इतना खर्च करने की है सीमा

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के मुताबिक, एक भारतीय साल में 2.5 लाख डॉलर खर्च कर सकता है. खर्च का अनुमान ऐसे लगा सकते हैं कि वर्ष 2013-14 में सिर्फ एक अरब डॉलर खर्च किया गया, जबकि वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 4.2 अरब डॉलर हो गया.

हालांकि ताजा रुझानों में यह भी देखा गया कि भारतीयों का विदेश में प्रॉपर्टी और वित्तीय साधनों में निवेश कम हुआ है.

क्या है वजह

भारतीयों के इस तरह के बढ़ते खर्च की वजह भी है. बैंकर कहते हैं कि वर्ष 2018 तक रुपया काफी हद तक स्थिर रहा है, बैंकों ने आसानी से कर्ज सुविधा देनी शुरू की है. ये खास वजहों में से हैं. बैंकरों का कहना है कि भारतीय विदेश यात्रा पर जाने के लिए पर्सनल लोन का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही नोटबंदी के कारण भी विदेश में अपनों को भेजी जाने वाली रकम में बढ़ोतरी हुई है.  

2013 में आरबीआर्इ ने साल में रेमिटेंस लिमिट को 2,00,000 डॉलर से घटाकर 75,000 डॉलर कर दिया था. साथ ही प्रॉपर्टी की खरीद के लिए एलआरएस के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. फरवरी 2015 में इस सीमा को बढ़ाकर 2,50,000 डॉलर कर दिया गया था. साथ ही प्रॉपर्टी की खरीद की अनुमति भी दे दी थी.